आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा
हमको, हमीं से मिलाता है आईना.
इस दिल के जज्बात बताता है आईना.
हुआ किसी पे फिदा ,ये बताता है आईना.
संवरनें की चाह जगाता है आईना.
उम्र के तजुर्बों को बताता है आईना.
चेहरे की लकीरों को दिखाता है आईना
बालों की सफेदी को बताता ये आईना
श्रृंगार से हो प्यार , सिखाता है आईना
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा