अपना प्यारा बीटीआई

अपना प्यारा बीटीआई
झूमते गाते मौज मनाते
एक दूजे को खूब हंसाते
सबके दिलों में थी
प्यार की गहराई
आई याद आई अपना प्यारा बीटीआई

मन तड़प चला था
जब यार बिछड़ चला था
आज फिर से खिल उठा हूं
अपना दिल धड़क चला था
जब से यह ग्रुप बना
मिटने लगी तन्हाई
आई याद आई अपना प्यारा बीटीआई

यादें ताजा हो गई
मन की नाराजगी खो गई
हार चुके थे जो दांव
वह जीती बाजी हो गई
जब से यह ग्रुप बना
दोस्तों की यादें ही छाई
आई याद आई अपना प्यारा बी टी आई

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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