सुभाष चंद्र बोस – उपेन्द्र सक्सेना

आजादी के महानायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती (23 जनवरी) पर उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट थे सुभाष जी मन के सच्चे, सबने उनको इतना माना।नेताजी के रूप में…

सुभाष चंद्र बोस – डॉ एन के सेठी

सुभाष चंद्र बोस - डॉ एन के सेठी आजादी के नायक थेमातृभू उन्नायक थेजीवन अर्पण कियाऐसे त्यागी वीर थे।।भारत माँ हुई धन्यदेशभक्ति थी अनन्यजयहिन्द किया घोषकर्मयोगी वीर थे।।त्याग दिया घर…

शादी की सालगिरह – सुधीर श्रीवास्तव

शादी की सालगिरह  - सुधीर श्रीवास्तव कविता संग्रह आइए!मुझे मुबारकबाद दीजियेमगर मुझे छोड़ियेमेरी श्रीमती को ही यह उपहार दीजिये जिसनें मुझे झेला है,मेरी बात न कीजियेउसका जीवन जैसे नीम करेला…

हास्य कविता-शादी की सालगिरह

हास्य कविता-शादी की सालगिरह आते ही शादी की सालगिरहपत्नी जी मुस्काईकहने लगीमेरे हमसफर आपको बधाई पति महोदय बधाई पाकरसर खुजाने लगेझंडू बाम सर में लगाने लगे पत्नी बोलीख़ुशी के दिन…

दीपक पर कविता

दीपक पर कविता दीया जलाएं- सुरंजना पाण्डेय माना कि चहुँओर घोर तमस हैअन्धियारा घना छाया बहुत हैं। पर दीया जलाना कब मना हैआईए हम मन में विश्वास काएक दीया तो…
छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता

छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता

छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता छेरछेरा - अनिल कुमार वर्मा होत बिहनिया झोला धरके,सबो दुआरी जाबो।छेरछेरा के दान ल पाके,जुरमिल मजा उड़ाबो।।फुटगे कोठी बोरा उतरगे, सूपा पसर ले मुठा उतरगे।…

हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुम- आशीष कुमार

हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुम हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुमकर्तव्य पथ पर डटो तुममुश्किलों का सामना करोतूफान के आगे भी अड़ो तुमहे पार्थ ! सदा आगे…

हमर छेरछेरा तिहार-डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

गीत - हमर छेरछेरा तिहार छत्तीसगाढ़ी रचना सुख के सुरुज अंजोर करे हे,हम सबझन के डेरा म।हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।। //1//आज जम्मो झन बड़े बिहनिया, ले छेरछेरा…

परोपकार पर हिंदी में कविता

परोपकार पर हिंदी में कविता परोपकार पर कविता-सुधीर श्रीवास्तव संवेदनशील भावसंवेदनाओं के स्वर परोपकार की निःस्वार्थ भावनागैरों की चिंता से जोड़करस्वेच्छा से सामने वाले की पीड़ा से/मर्म सेखुद को जोड़ने…

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता-सुरंजना पाण्डेय

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता कविता संग्रह बलिदानों को क्यूँ कर रहे तिजारत यूंदेश को क्यूँ बाट रहे हर रोज रहे हम यूं। अपनी देश की मिटटी को क्यों कर…