शिव महिमा कविता
शिव शिवा शिव शिवा शिव शिवा ।
शिव शव हैं……शिवा के सिवा।
शिव अपूर्ण हैं शक्ति के बिना
शक्ति कब पूर्ण हैं शिव के बिना
अनुराग का सत इनका है वफ़ा।
लोचन मोचन वि..मोचन सबल तुम हो
कांति चमक दामिनी सकल तुम हो
कायनात का कण तूने है रचा।
वो अर्धनारी वो अर्धपुरुष हैं
ऋषि मुनि के हर तो लक्ष्य हैं
वो अर्चक का भाव सुनते हैं सदा।
वो धरातल रसातल और फलक हैं।
लालन पालन रक्षक सब के जनक हैं।
लट जट जटा,जटी जूट वो हैं कुशा।
जल नीर नाग हलाहल में तुम हो।
गुल तरु फल प्राणी सुर
तम में तुम हो।
मन में संचित स्वाति बूंद है सुधा।
एकाकी हैं…दो की दिव्य काया।
ब्रह्म और भ्रम की है अलौकिक माया।
सरल कपाल स्वयंभू से नहीं है जुदा।
*_सुधीर कुमार*