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पुरूष सत्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
पुरूष सत्ता पर कविता लोग कहते रहे हैंमहिलाओं का मनजाना नहीं जा सकताजब एक ही ईश्वर ने बनायामहिला पुरुष दोनों कोफिर महिला का मनइतना अज्ञेय इतना दुरूह क्यों.. ? कहीं…
कोरोना से युद्ध
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उनकी खातिर प्रार्थना,
मिलकर करना आज।
जो जनसेवा कर रहे,
भूल सभी निज काज।
भूल सभी निज काज,
प्राण जोखिम में डाले।
कोरोना से युद्ध ,
चले करने दिलवाले।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
सुनो उनके भी मन की।
बस सेवा का भाव,
हृदय में बसती उनकी।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822