तेरा आशिर्वाद रहे सदा माँ हमारी कलम पर
लेकर बैठी कलम हाथ में
लिखने मैया के गुणगान
अद्भुत लीला तेरी मैया
कलम है मेरी नादान
अपरुपा,अनुपम ,अलौकिक
दिव्य स्वरुपा,दिव्यज्योत्सना
ज्योतिर्मयी ,अक्षमाल्य,
कमण्डलम धारिणी
ब्रह्मचारिणी,तपश्चारिणी
साक्षात ब्रह्म स्वरुपा
तप की साक्षात मूर्तिमयी
जगत् जननी,जग पालिका
त्याग,वैराग्य,संयम,सदाचारदायिनी
सर्व सिद्धि दात्रि,विजयम ददाति
सर्वमंगलम्,सुमंगलम दायिनी
निर्जला,निराहार तपकारणे
शाक- पात आहर्य कारणे
अपर्णा नाम धारिणी
कठोर तप के कारणे कांति
और तेज का संगम से दमक रही
दूध,दही,शर्करा,घृत,मधु से कर स्नान
अक्षत,रोली,फूल,चंदन से
कर अर्चना तांबूल,सुपारी भेंट करुँ
कर तेरी प्रदक्षिणा बस इतनी मनुहार लिखे
फिर भी माँ मेरी कलम
नासमझी,नादान रही
तेरी कितनी कृपाएं
हम भक्तों के साथ में
तेरा आशिर्वाद रहे
सदा माँ हमारी कलम पर।
डा.नीलम
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद