Author: कविता बहार

  • बाल कविता – स्लेट बत्ती

    स्लेट बत्ती
    बाल कविता

    बाल कविता – स्लेट बत्ती

    स्लेट बत्ती का  जानो मोल
    लकीर बना लो या फिर गोल

    क ख ग घ लिखना हो या गिनती
    पढ़ने को सब करते विनती

    बत्ती को घिस घिस कर देखें
    टूटे जब जब उसको फेंके

    पानी को हाथों में लेते
    गलत लिखते ही मिटा देते

    स्लेट बत्ती से हो शुरुवात
    लिखते पढ़ते रहें दिन रात


    राजकिशोर धिरही
    तिलई,जांजगीर

  • दोहे – जगदम्बा महिमा

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।]शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    दोहे “जगदम्बा महिमा”

    नवराते हैं चल रहे, करें मात का ध्यान।
    सबका बेड़ा पार हो, माता दो वरदान।।

    मात हाथ सर पे रखें, बने सभी के काम।
    परम सत्य इस विश्व का, माँ अम्बा का नाम।।

    सभी उपासक मात के, चलो चलें दरबार।
    ध्यान भक्ति मन में धरें, होगा बेड़ा पार।।

    रोली अक्षत को चढ़ा, पूजें माँ को आप।
    माता दें वरदान तो, मिटे जगत के ताप।।

    माता का हम ध्यान धर, देवें कन्या-भोज।
    दुर्गा के आशीष से, मिले मात सा ओज।

    जगदम्बे वर आप दें, मस्तक ‘बासु’ नवाय।
    काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।।

    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • मेला पर दोहे -नवीन कुमार तिवारी

    मेला पर दोहे

    मेला देखो घूमके,कितना रहता भीड़ ।

    मानस रहते झूमते ,किसका कैसा नीड़ ।।1

    खुले हाट बाजार में , बेच रहे सामान ।

    साज बजे भोंपू सुने , बैठ  कहे श्रीमान ।।2

    जमघट देखे  भागते ,उड़ने लगे गुबार ।

    मीठा खारा खा रहे , मिलता खोया प्यार  ।।3

    मेला ठेला घूमते , कटता किसका जेब  ।

    मोहक नारी मचलती , बजते अब पाजेब ।।4

    चूड़ी बिंदी देखते , सोचे नारी जात ।

    चटपट झूले बैठती, मिलते ही ये सौगात ।।5

    पूड़ी सब्जी छानते , बनते जो पकवान ।

    सट्टा बाजी हो रही ,कर गये सावधान ।।6

    नवीन कुमार तिवारी

  • तेरा आशिर्वाद रहे सदा माँ हमारी कलम पर-डा.नीलम

    तेरा आशिर्वाद रहे सदा माँ हमारी कलम पर

    लेकर बैठी कलम हाथ में
    लिखने मैया के गुणगान
    अद्भुत लीला तेरी मैया
    कलम है मेरी नादान

    अपरुपा,अनुपम ,अलौकिक
    दिव्य स्वरुपा,दिव्यज्योत्सना
    ज्योतिर्मयी ,अक्षमाल्य,
    कमण्डलम धारिणी

    ब्रह्मचारिणी,तपश्चारिणी
    साक्षात ब्रह्म स्वरुपा
    तप की साक्षात मूर्तिमयी
    जगत् जननी,जग पालिका

    त्याग,वैराग्य,संयम,सदाचारदायिनी
    सर्व सिद्धि दात्रि,विजयम ददाति
    सर्वमंगलम्,सुमंगलम दायिनी

    निर्जला,निराहार तपकारणे
    शाक- पात  आहर्य कारणे
    अपर्णा नाम धारिणी
    कठोर तप के कारणे कांति
    और तेज का संगम से दमक रही

    दूध,दही,शर्करा,घृत,मधु से कर स्नान
    अक्षत,रोली,फूल,चंदन से
    कर अर्चना तांबूल,सुपारी भेंट करुँ

    कर तेरी प्रदक्षिणा बस इतनी मनुहार लिखे
    फिर भी माँ मेरी कलम
    नासमझी,नादान रही

    तेरी  कितनी कृपाएं
    हम भक्तों के साथ में
    तेरा आशिर्वाद रहे 
    सदा माँ हमारी कलम पर।

          डा.नीलम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो -दुर्गा शंकर इजारदार

    विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो -दुर्गा शंकर इजारदार

    विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो

    अजेय विंध्यवासिनी विनाश दुःख का करो ,
    त्रिशूल धारिणी सहाय प्राण शत्रु का हरो ।।

    सभी सुखी रहें यहाँ जवान हो कि वृद्ध हो ,
    सदैव काम क्रोध लोभ से विचार शुद्ध हो ।।

    विदेश देश हो सदा गुँजायमान भारती ,
    सभी जमात एक हो करें सुजान आरती ।।

    मरें नहीं अकाल मौत नौनिहाल भूख से ,
    जले नहीं महान बेटियाँ दहेज दुःख से ।।

    गले मिले सभी यहां कि बैर भाव छोड़ के ,
    अराधना करूँ यही कि मात हाथ जोड़ के ।।

    निशुम्भशुम्भनाशिनी नमो पिनाकधारिणी ,
    प्रभावती नरेश्वरी अनेक शस्त्रधारिणी ।।

    नमो सती जया सुधा क्षमा प्रभा शिवाप्रिया ,
    नमामि कालरात्रि पार्वती नमो हरिप्रिया ।।

    दुर्गा शंकर इजारदार
    सारंगढ़(मौहापाली)9617457142

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद