Author: कविता बहार

  • अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार

    हृष्ट-पुष्ट तन रखे निरोगी, दे यह सात्विक शुद्ध विचार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मार निरर्थक मूक जीव को, देना उन्हें नहीं संत्रास।
    ऐसे निर्मम पाप कर्म का, व्यर्थ बनो मत तुम तो ग्रास।
    दास बनो मत तुम जिह्वा के, करो तामसिक भोजन त्याग।
    कंद-मूल फल फूल-सब्जियाँ, रखो अन्न से ही अनुराग।
    शाकाहारी खाद्य वस्तु से, भरा सृष्टि का यह भण्डार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मानव दाँत-आँत की रचना, शाकाहारी के अनुकूल।
    मांसाहारी भोज्य ग्रहण कर, फिर क्यों करते हो तुम भूल।
    मांसाहारी खाद्य वस्तुएँ, हैं गरिष्ठ रोगों का मूल।
    पाचन क्रिया प्रभावित कर ये, चुभे उदर में बनकर शूल।
    सात्विक भोजन शुद्ध आचरण, रखे बुद्धि को मुक्त विकार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    कार्बोहाइड्रेट विटामिन, स्रोत वसा रेशा प्रोटीन।
    दाल-सब्जियाँ अन्न- कंद फल, सात्विक भोज्य यही प्राचीन।
    मित्र उदर की हरी सब्जियाँ, रखतीं तन को सदा निरोग।
    सत्त्वगुणों की वर्धक बनकर, बनतीं सुख का शुभ संयोग।
    यह संकल्प उठाओ “साँची”, शाकाहारी हो संसार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    डॉ0 इन्द्राणी साहू “साँची”
    भाटापारा (छत्तीसगढ़)

  • शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    दोहा – शाकाहारी

    उत्तम हो आहार जब, देह पुष्ट हो जान।
    अनुचित भोजन से सदा, बिगडे तन का मान।।

    भोजन से ही जानिए, बनता मनुज स्वभाव।
    शाकाहारी भोज्य से, रखिए सदा लगाव।।

    शेर माँस खाकर सदा, गुर्राता है नित्य।
    नित निरीह पशु की करे, हत्या वाला कृत्य।।

    शाकाहारी जीव का, रहता शांत स्वभाव।
    मांसाहारी भोज्य से, करता सदा दुराव।।

    हरी सब्जियों से मिले, पोषक तत्व हजार।
    इसी लिए सब संत जन, रहते शाकाहार।।

    असुर वृत्ति के लोग ही, करते मांसाहार।
    आतुर लड़ने के लिए, रहते हैं तैयार।।

    शाकाहारी भोज्य है, सर्वोत्तम आहार।
    करे संतुलित देह को, मिले पुष्ट आकार।।

    सभी प्राणियों के लिए, निर्धारित आहार।
    फिर क्यों मांसाहार से, करे मनुज नित प्यार।।

    शाकाहारी ही बनो, यही प्रकृति की देन।
    इनसे हटकर जो चले, रहता है बेचैन।।

    मांसाहारी लोग नित, हत्या करते जीव।
    उनके इसी कुकृत्य से, मिलते कष्ट अतीव।।

    नीरामणी श्रीवास नियति
    कसडोल छत्तीसगढ़

  • ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    सोच नहीं सकता था कोई,
    ऐसा भी दिन आयेगा।
    जीव काटकर भी यह मानव,
    मार पालथी खायेगा।

    प्रकृति ने उपलब्ध कराई,
    सब्जी सुंदर, ताजे फल।
    कंदमूल और अन्न साथ में,
    पीने का था निर्मल जल।

    किन्तु सीमा लाँघी इसने,
    ताक रखा कानून भी सारा।
    मांस भक्षण के खातिर ही,
    अबोध जीवों को इसने मारा।

    आज आह उन पशुओं की,
    अकाल मृत्यु बन आई है।
    कोरोना महामारी लाकर,
    जिसने यहाँ बढ़ाई है।

    संवेदन को खोकर तुमने,
    विपदा स्वयं बुलाई है।
    अभी संभल जा हे मानव,
    जीवन से क्या रुसवाई है।

    समय बीत जाने पर मानव,
    हाथ नहीं कुछ आयेगा।
    करनी का फल भोगेगा,
    बेमौत ही मारा जायेगा।

    अनिता तिवारी “देविका”
    बैकुण्ठपुर (छत्तीसगढ़)

  • शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    गीत
    मात्र भार 16/11, सरसी छंद पर आधारित
    शाकाहारी सर्वोतम उपहार

    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।
    मांसाहारी शान समझते,करे दुखो का भोग।।
    1
    कुदरत ने सब कुछ बख्शा है,पर दुखिया इन्सान।
    पीजा बर्गर अच्छा लगता,रोग बना पहचान।
    हरि सब्ज़ीयां खाओगे तो, होओगे बलवान।
    नॉनवेज खाकर के बन्दे, हो जाते बेजान।
    इसी लिए मैं कहता जग से, नित्य करो सब योग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    2
    गाजर, भिन्डी, बैगन, पालक, सबके पालनहार,
    बकरा, भैसा, मछली, मुर्गा, रोगों का है द्वार।
    भला तामसी इन्सानों का, कैसे हो उद्धार।
    नफ़रत इनके दिल में पलती, कौन करेगा प्यार।
    बहुत कठिन है जीवन उनका, मुश्किल लगता जोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    3
    झूठी सच्ची शान दिखाते, बेचे अपना दीन।
    इन राहों पर जो भी चलता, खोता वही यक़ीन।
    भारत वालो तुम तो समझो, छोड़ो लंदन चीन।
    पश्चिम वाले भी अब देखो,बजा रहे हैँ बीन।
    विश्व गुरू है भारत सबका,ज्ञान बाँटते लोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।

    विजय मिश्र दानिश
    जयपुर, राजस्थान
    स्टेज, रेडियो, टीवी, फ़िल्म कलाकार, अभिनेता, निर्देशक, लेखक, कवि, शायर

  • शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    रोटी चावल दाल है, मानव का आहार।
    शाकाहारी बन मनुज, जीवन का आधार।।

    केवल शाकाहार ही, मनु शरीर अनुकूल।
    पोषक तत्वों से भरा, होता सब्जी मूल।।

    शाकाहारी भोज से, बढ़ता सात्विक भाव।
    हो विकास बल बुद्धि का, मिटता मन का ताव।।

    शाकाहारी भोज ही, होता अति स्वादिष्ट।
    कंदमूल फल फूल में, पोषक तत्त्व विशिष्ट।।

    सरस्वती बसती सदा, मानव जिह्वा मध्य।
    सेवन कर मत मांस का, कहती रुचि निज पद्य।।

    राक्षस करते मांस का, भक्षण हे इंसान।
    तू मानव है इसलिए, खाना नहीं विधान।।

    डॉ सुकमोती चौहान रुचि