शाकाहारी जीवन करें व्यतीत
जन्म हुआ मानव का लेकर ,सौम्य प्रकृति आधार।
तृण- तृण इसके रग- रग में है,रचता रहता सार।
अंग सभी प्रत्यंग सजे हैं,सात्विक शक्ति शरीर,
मन का मनका प्रस्तुत करता ,मन ही मन आभार।
है विकास के पथ पर चलता,रज कण लिए शरीर।
मज्जा रक्त अस्थियां पोषण,पाने हेतु अधीर।
हारमोन है घ्रेलिन नामक, बढे़ भूख आहार,
सम्यक नींद पचाए भोजन,पानी और समीर।
उगें प्राकृतिक अन्न सब्जियां,धरती से भरपूर।
डाली- डाली लदी आम ,अमरूद और अंगूर।
युक्त फाइबर और विटामिन,कार्बोहाईड्रेट ,
हैं समृद्ध पोषक तत्वों से,उर्जा रहे न दूर।
धरती हरित नील अंबर से, प्रकृति सुहानी भव्य।
है उत्पन्न शरीर इसीसे ,यही सजाते हव्य।
क्षुधा शक्ति भोजन पानी रस,स्वाभाविक हो पान,
पाचन करती सरल सुलभ तन, सृजित कराती द्रव्य।
फोलिक एसिड मैगनीशियम ,प्रकृति करे उपकार।
सभी फाइटो युक्त केमिकल, मिलते शाकाहार।
कोलोस्ट्राल ह्रदय उद्वेलन,रक्तचाप संपीर,
संवेदन रोगों के खतरे ,मानव करता पार।
दूध दही मक्खन फल मेवे,प्रोटीनों के साथ।
दालें कद्दू बीज और तिल,फलियां छोले क्वाथ।
औषधि जडी़ बूटियां होतीं, पाचन के अनुरूप,
स्वस्थ चित्त हों शाकाहारी,भारत के हर हाथ।
सभी सशक्त और नीरोगी ,होते रहे अतीत।
प्रकृति विहारी सभी मनस्वी ,ग्रन्थकार सुपुनीत।
बलशाली कुश्ती वाले हैं ,विश्व विजेता पुष्ट,
स्वस्थ समुन्नत शाकाहारी ,जीवन करें व्यतीत ।
देवेंद्र चरण खरे आलोक