Author: कविता बहार

  • हम जैसे चलते हैं तुम भी चलो ना

    हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना।
    हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना। ।

    बहती हुई नदियां देखो , कल-कल बहती है ,
    कल-कल बहती है और , सागर में मिल जाती है।

    नदिया यह कहती है , तुम भी कहो ना ,
    हम जैसे बहते हैं , तुम भी बहो ना
    हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

    पत्थर की मूरत देखो , पहले तो यह पत्थर थी ,
    चोटों को सहते – सहते सूरत बन गई।
    मूरत यह कहती है , तुम भी कहो ना
    हम जैसे सहते हैं , तुम भी सहो ना
    हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

    जलता हुआ दीपक देखो , जगमग – जगमग करता है ,
    जगमग – जगमग करता है , अंधेरा दूर करता है ,
    दीपक यह कहता है , तुम भी कहो ना
    हम जैसे जलते हैं , तुम भी जलो ना
    हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना
    हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना
    हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

  • शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

    शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

    1—-

    उज्ज्वल- उज्ज्वल है धरा,चंद्र -किरण बरसात ।

    चाँद गगन से झाँकता ,रूप मनोहर गात।।

    रूप मनोहर गात ,रजत सम बहती धारा।

    लिए शरद सौगात ,चंद्र का रूप निखारा।।

    कहे सुधा सुन मीत , प्रीत है मन का प्राँजल। 

    सजे पुनों की रात ,धरा है उज्ज्वल उज्ज्वल।।

    2—

    छम-छम बजती पायलें , हुई चाँदनी रात।।

    मधुवन मधुरव गूँजते ,मधुर हदय की बात।।

    मधुर हदय की बात ,वंशिका गीत सुनाए।

    मचल रहे जजबात ,प्रीत परवान चढ़ाए।।

    कहे सुधा सुन मीत ,प्रेम बरसे अति पावन। 

    नाचे राधेश्याम , बजे  पायल हैं छमछम।।

    3—

    ओढ़ी  वसुधा देखिए ,दुग्ध चुनरिया आज।

    चमक रहा नभ चाँद है , पहने चाँदी ताज।।

    पहने चाँदी ताज , शीत की है अगवानी।

    झरता मधुरस गात ,प्रीत की  रीत निभानी।

    कहे सुधा सुन मीत , धरा है लगे नवोढ़ी।

    रजत- रजत आभास ,च॔द्र- किरणें है ओढ़ी।।

    सुधा शर्मा,राजिम छत्तीसगढ 

  • शाकाहारी भोजन / मधु वशिष्ठ

    शाकाहारी भोजन / मधु वशिष्ठ

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहारी भोजन

    यह भोजन जो तुमने खाया है।
    क्यों किसी निरीह पशु को तड़पाया है?

    क्या उसके दर्द भी बढ़कर थी भूख तुम्हारी।
    जिव्ह्या का स्वाद क्या उसके जीवन से ज्यादा अनमोल था?

    उन्हें प्लेट में सजा कर खाते हुए क्या तुम्हें नहीं कोई क्षोभ था?

    माना इस खाने से तुम्हें पोषण तो मिलेगा?
    लेकिन क्या उन निरीह जानवरों के चीत्कार का फल न मिलेगा?

    क्या मानवता के हनन का कोई पाप तुमको तो न लगेगा?
    इस सहज क्रूर व्यवहार के कारण तुमने तामसिकता का भाव तो ना जगेगा?

    समझ नहीं आता सहज ही किसी को दुख देने के बाद चैन तुम्हें कैसे मिलेगा?
    पाप का घड़ा है कभी तो भरेगा।

    वह निर्दोष जानवर जिन्होंने जन्म लेने के सिवा कोई गुनाह ही नहीं किया।
    उनका यह हाल है तो सोच के देखो कभी कि परमात्मा फिर तुम्हारा क्या हाल करेगा?

    मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा

  • शाकाहार / पवन दाळू

    शाकाहार / पवन दाळू

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार

    लेना हमेशा शाकाहार
    ना करना मांसाहार
    पास न आये आजार
    यही हे बस उपहार

    शुद्ध पकवान से
    मन भी स्वच्छ रहे
    क्रोध न ज्यादा आये
    जो शाकाहार करें

    क्या खाये कब खाये
    यह न कोई समजाये
    करें जो आदरतिथ्य
    तुम शाकाहार हि पथ्य

    कसम खाकर कुछ ऐसी
    आज से करुँगी शाकाहार
    किसीकी बात न मानूंगी
    हात न लगाउ मांसाहार

    पवन दाळू, खामगाव, महाराष्ट्र

  • शाकाहार / शुभा शुक्ला निशा

    शाकाहार / शुभा शुक्ला निशा

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    शाकाहारी आहार ही है सर्वोत्तम आहार
    जो स्वस्थ रखता मानव तन और हटाए मन का भार

    कौली कौली हरी भरी लौकी और लंबा कांटेदार कड़वा करेला
    रस इनका हटाता मानव शरीर से रोगों का झमेला

    हरी हरी पालक खाओ और मेथी भाजी छौंकी
    मसाले में मिलकर बनती हमारी भाजी चोखी

    गाजर, टमाटर, सेव ,पपीता कितने विटामिंस खुद में समाए,
    प्याज लहसुन अदरक अजवाइन स्वादिष्ट खाने को मजबूत बनाए।

    मांसाहार में ऐसा क्या रखा है जो शाकाहार में नही है,
    मासूम जानवरों का मांस खाना क्या ये सदाचार सही है।


    कोई कहता हम तो कटे कटाए मटन को खाते हैं ,
    हमने थोड़ी मारा उन्हे जो लोग हमे बात सुनाते हैं।

    पर सवाल बस इतना मांसाहार खाया ही क्यों जाए,
    चीन के भयानक हश्र से कुछ तो सबक लिया जाए ।

    प्राचीन समय में पहलवान हमारे दारा सिंह क्या मुर्गा खा कर वजन बढ़ाते थे,
    सरसों का साग और मक्के की रोटी
    करेले का जूस मेवे बस यही उनकी खुराक में आते थे।

    कान खोल कर सुनो ना मेरे भाईयों और बहनों दोस्तो,
    जीभ की नही अपने दिल की सुनो क्या कहता है वो दोस्तों।

    शाकाहार ही है सर्वोत्तम आहार बनाए जो सात्विक आचार
    मांसाहारी नरभक्षी कहलाते शाकाहारी का होता आदर्श व्यवहार

    शुभा शुक्ला निशा रायपुर छत्तीसगढ़