Author: कविता बहार

  • शाकाहार से वास्ता/ खेमू पाराशर

    शाकाहार से वास्ता/ खेमू पाराशर

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार से वास्ता

    स्वाद का नहीं सवाल स्वास्थ्य का है बवाल
    शाकाहार देता मनुष्य को लंबा जीवन काल
    बनो सिर्फ शाकाहार के दलाल
    खुशी से खाइए रोटी-दाल
    बनेगा जिंदगी में एक खूबसूरत जाल

    मत बनो अब इतने अंग्रेज
    मांसाहार से करो परहेज
    शादी में दीजिए सिर्फ शाकाहार का दहेज
    शाकाहार से चमकता चेहरे पर तेज
    इस बात को रख लीजिए सहेज

    जिसने शाकाहार को अपनाया
    उसने जीवन में बहुत अच्छा निर्णय लिया
    क्योंकि इससे बन जाती विशिष्ट क्रिया
    जो बिखेरती जीवन में तमाम खुशियाँ
    भले थाली में हो सिर्फ दलिया

    खेमू पाराशर
    भरतपुर, राजस्थान

  • शाकाहार / वीना आडवाणी

    शाकाहार / वीना आडवाणी

    Vegetable Vegan Fruit


    शाकाहार सर्वोत्तम

    शाक कंद मूल जब सृष्टि ने दिया
    तो क्यों किसी को काट के खाएं
    श्रेष्ठ गुणों से भरे ये शाक कंद
    औषधियों के काम में भी आए।।

    शाकाहारी बन शाकाहार खा मानव
    सर्वोच्च श्रेणी मे तब तू आए
    प्रच्चुर मात्रा में शाक से खाकर
    शक्ति, रक्त शरीर का तेरा बढ़ जाए।।

    उठा पलट पढ़ इतिहास के पन्ने
    पहले मानव कंद फल ही थे खाएं
    बलवान इतने की जीते वो युद्ध
    आज उनके गुण लोकगीतों में समाए।।

    सर्वोत्तम सृष्टि का वरदान शाक भाज
    क्यों किसी के वद्य , का पाप कमाए।।
    रहता है तू राम देश के शहर मे सनातनी
    देख चौदह वर्ष राम शाक खा जंगल मे बिताए।।

    सीख इतिहास से मानव कुछ तो तू
    सनातन धर्म में वद्य नर्क द्वार दिखाएं।।
    खा सर्वोत्तम गुणों से भरपूर शाकाहारी
    तभी तू मानव धर्म निभाता संस्कारी कहलाए।।

    वीना आडवाणी तन्वी
    नागपुर, महाराष्ट्र

  • शाकाहार पर नारे/ विजय पाटने

    शाकाहार पर नारे/ विजय पाटने

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार पर नारे

    प्रकृति का ये उपहार।
    जीओ और जीने दो बने साकार।

    साग सब्जी अपना हथियार।
    उत्तम स्वास्थ्य लाएँ अपने द्वार।

    मांस का करें तिरस्कार।
    ना बने पाप के भागीदार।

    दूर करे तन मन के विकार।
    अपना कर भोजन शाकाहार।

    आज धरा की है पुकार।
    शाकाहार ही हो भोजन का आधार।

    आओ सब मिलकर भरे हुंकार।
    बंद हो मांसाहार का व्यापार।

    जीने का दे सभी को अधिकार।
    शाकाहार सर्वोत्तम आहार।।

    रचनाकार
    विजय पाटने
    374,Aarambh
    Silver Starcity
    Silicon city Indore
    9826065177

  • शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    तीर्थंकर के वर्तमान प्रतिनिधि,
    देते जग को अणुव्रतों का संदेश।
    मांसाहार को त्याग कर इंसान,
    शाकाहार अपनाए विश्व के देश।।

    किसी धर्म सम्प्रदाय ग्रंथ में नहीं,
    मिलता हिंसा को तनिक भी स्थान।
    फिर क्यों भोजन की थाली में,
    पिरोसा जाता मांसाहारी पकवान।।

    मांसाहार से होती तन में व्याधि,
    कई बीमारियों की लाती उपाधि।
    तामसिक आहार से मति बिगड़ती,
    देश मे बनते कई नए अपराधी।।

    अबोल पशुओ के करुण चीत्कार
    से बना भोजन नहीं है हितकारी
    जीवदयाकर मांसाहार को त्यागे
    बन जाये व्यक्ति पूर्ण शाकाहारी

    मूकबधिर जानवरों के खान पान से,
    विश्व मे फैलती जानलेवा महामारी।
    स्वस्थ शरीर स्वस्थ देश बनाने हेतु,
    आज से ही बन जाये पूर्ण शाकाहारी।।

    🖋 वीरेंद्र सालेचा- अहमदाबाद

  • करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    Vegetable Vegan Fruit

    हम मनुष्य हैं ,कोई दैत्य – दानव नहीं,
    क्यों दैत्यों – दानवों के पग पर पग धरते हैं?
    मनुष्य होकर क्यों दैत्य- दानवों सा कृत्य करते हैं?
    क्यों शुद्ध सात्विक आहार को छोड़कर,
    तामसिक आहार पे हम टूट पड़ते हैं?
    खाकर तामसिक आहार को फिर,
    अवगुणों का सारा पिटारा अपने अंदर में भरते हैं ।

    त्रिगुणमयी संसार में होता है सब त्रिगुणमयिक।
    आहार भी सात्विक राजसिक और तामसिक।
    तामसिक आहार नहीं चाहिए खाना।
    अपने अंदर हैवान को नहीं चाहिए जगाना।

    ढलता है आचरण में आहार का ही गुण।
    तामसिक आहार करवा देता है मनुष्य से मनुष्यता का खून।
    चेतना शून्य कर अमानुष बना देता है।
    अपने वश में फिर पूरी तरह कर लेता है।

    हम भी एक जीव हैं,
    वे भी एक जीव हैं।
    हमें भी दर्द का एहसास होता है,
    उन्हें भी दर्द का एहसास होता है।
    फिर क्यों अपनी तृष्णा के खातिर,
    हम ऐसा हैवान बन जाते हैं?
    बड़ी निर्ममता से हत्या कर उनकी,
    बड़ी चाव से फिर उन्हें हम खाते हैं।

    सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च देहधारी मनुष्य ,
    देवता भी तरसते हैं इस देह को पाने के लिए।
    मुक्ति का द्वार यह मनुष्य देह,
    मिला नहीं है संसार में सिर्फ खाने के लिए।
    चार खानि चौरासी लाख योनियों में
    भटकने के बाद मिलता है यह तब।
    अखिल ब्रह्माण्ड नायक श्री हरि जी,
    करुणा कर अपनी करूणा बरसातें हैं जब।

    इस देह का उद्देश्य भोग करना नहीं,
    ईश्वर संग योग कर ईश्वर में समाना है।
    सदा शुद्ध सात्विक आहार कर,
    प्रभु की परम कृपा कमाना है।
    करते हैं क्यों तामसिक आहार
    प्रभु के द्वार से दूर भटकने के लिए ?
    क्यों स्वयं को बनाते हैं इस योग्य
    यमराज के द्वारा के फंदे में लटकने के लिए ?

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    मांस के साथ – साथ तामसिक आहार में आते हैं लहसुन-प्याज भी।
    उड़द मसूर की गणना भी जाती है इसी में की।
    संसार में अच्छी – अच्छी वस्तुओं की कमी नहीं खाने के लिए।
    अच्छी – अच्छी वस्तुओं को छोड़कर, क्यों लालायित रहते हैं तामसिक आहार पाने के लिए?

    तामसिक आहार न अब से ग्रहण करें हम।
    जीवों की हत्या कर जीवों को न दें गम।
    करें न जीव हत्या का पाप का करम।
    कहता भी है हमसे यही हमारा सत्य सनातन धरम।

    रचयिता -श्रीमती सुमा मण्डल
    वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
    नगर पंचायत पखांजूर
    जिला कांकेर, छत्तीसगढ़