Author: कविता बहार

  • खुदीराम के नाम का गान /मनीभाई नवरत्न

    खुदीराम के नाम का गान /मनीभाई नवरत्न

    खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनके साहस, बलिदान और देशप्रेम को समर्पित एक गीत प्रस्तुत है:

    खुदीराम के नाम का गान /मनीभाई नवरत्न

    खुदीराम के नाम का गान

    (Verse 1)
    वो नन्हा वीर था, पर दिल में जोश था,

    नादान नहीं था , उसे होश था
    जिसके बलिदान से, महका हिंदुस्तान।

    वो प्रकाश, खुदीराम बोस था .

    (Chorus)
    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत प्रखर।

    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत प्रखर।

    (Verse 2)
    कम उम्र में ही, वो बना क्रांतिकारी,
    भारत की गुलामी , उसको लगता था भारी ।
    बम पिस्तौल, बन गये उसके साथी,
    दुश्मनों के मन में जला दी दहशत की बाती।

    (Chorus)
    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत हो प्रखर।


    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत हो प्रखर।

    (Verse 3)
    वो हंसते-हंसते फांसी पे झूल गया,
    देश के लिए , सब कुछ भूल गया।
    वीरों की धरती पे , जन्मा वो महान,
    याद रहेगी सदा , तेरा बलिदान जवान।

    (Chorus)
    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत हो प्रखर।

    खुदीराम, तुम हो अमर,
    देशभक्ति की ज्योत हो प्रखर।

    (Outro)
    तुमको,कभी ना भूलेंगे,
    तुम्हारी रंग में घुलेंगे।
    खुदीराम, तेरा नाम रहेगा सदा,
    देश का सच्चा वीर, तू ही हमारा।


    यह गीत खुदीराम बोस के साहस, बलिदान और देशप्रेम को समर्पित है। उनके बलिदान ने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को और भी मजबूत किया और आज वे भारतीय इतिहास के अमर वीरों में गिने जाते हैं।

  • भारत छोड़ो का जयघोष (भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता)

    भारत छोड़ो का जयघोष (भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता)

    यहां भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता प्रस्तुत है:

    भारत छोडो आन्दोलन

    भारत छोड़ो का जयघोष

    सुनो कहानी वीरों की, जब भारत हुआ बेखौफ,
    आजादी का बिगुल बजा, उठा स्वतंत्रता का शोर।
    नव जागरण की लहर चली, एकता का उठा संकल्प ,
    भारत छोड़ो का नारा गूंजा, देश की हुई कायाकल्प ।

    अंग्रेजों की हुकूमत से, तंग हो गया था आमजन,
    तोड़नी थी बेड़ी हमें , मंजूर नहीं शोषण और दमन।
    गांधी के नेतृत्व में, आजादी का बिगुल बजा,
    ‘भारत छोड़ो’ का जयघोष, पूरे देश में गूंजा।

    8 अगस्त का दिन आया, संघर्ष की नई आंधी लाई,
    “अब अंग्रेजों, भारत छोड़ो!” हर कोने से बात गहराई
    जन-जन में जगी थी ज्वाला, आजादी का अलख जगाया,
    हर दिल में थी एक तमन्ना, एक नया साहस जुटाया ।

    सत्याग्रह की शक्ति से, किया अन्याय का प्रतिकार,
    गांधी, नेहरू, पटेल और सुभाष, सबने किया प्रहार ।
    महिला और पुरुष सभी ने, बढ़ाया आंदोलन का रथ,
    बालक-बालिकाओं ने भी, समझा अपना कर्तव्य पथ।

    हर गांव, हर शहर ने देखी, आजादी की जंग,
    भारत मां के खातिर सबने, सजाया लहू का रंग ।
    आंदोलन की ज्वाला में, जले थे कितने सपने प्यारे,
    न्योछावर हो गये आन्दोलन में, कई देशभक्त हमारे।

    जेलों में डाले गए थे कई स्वतंत्रता सेनानी,
    पर रुके नहीं कदम, बढ़ते रहे स्वाभिमानी।
    देशभक्ति की अग्नि में, तपे थे उनके अरमान,
    अंततः मिली विजय हमें, आजादी का नव विहान।

    15 अगस्त 1947 को, फहराया तिरंगा गर्व से,
    स्वतंत्रता का नव युग आया, भारत की जय से।
    आज हम सब मिलकर गर्व करें, उन बलिदानों की शान में,
    जिनके प्रयासों से मिला , स्वतंत्रता का यह वरदान हमें।

    याद रखें उस हिम्मत को, जो ‘भारत छोड़ो’ में आई,
    एकता की अद्भुत मिसाल, जिसने आजादी दिलाई।
    भारत मां के वीर सपूतों को, नमन करें बारंबार,
    जिनकी वजह से आज हम , स्वतंत्रता के हकदार।

    मनीभाई नवरत्न


    यह कविता भारत छोड़ो आंदोलन के संघर्ष और साहसिक प्रयासों को समर्पित है, जिसने देश को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।

  • आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )

    आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )

    यहां विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता प्रस्तुत है:

    आदिवासी गाथा

    जंगलों की गोद में बसा,
    एक अद्भुत संसार है।
    संस्कृति जिसकी अनोखी,
    वह आदिवासी परिवार है।

    धरती से गहरा नाता,
    और पेड़ों से प्यार है।
    पर्वतों की ऊंचाई में बसी ,
    उनका विशाल संसार है।

    त्योहारों की रंगीन छटा,
    और नृत्य की बात निराली।
    गीतों में छुपा है जीवन,
    कहानी उनकी कभी न खाली।

    संघर्षों का चढ़ा पहाड़,
    पर हिम्मत नहीं हारी।
    संभाला अपनी धरोहर को,
    है गौरवशाली संस्कृति प्यारी ।

    हक के लिए लड़ा है जो ,
    आवाज नहीं झुका है ।
    एकता की शक्ति से वो ,
    नया आसमां जा पहुंचा है ।

    संस्कृति का यह उत्सव मनाएं,
    आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं।
    आदिवासी जन के साथ,
    हम सब एक नई राह बनाएं।

    मनीभाई नवरत्न


    यह कविता आदिवासी समुदाय की संस्कृति, संघर्ष और धरोहर को सम्मानित करने के लिए है।

    आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )
  • लघु उद्योग की उन्नति  (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    लघु उद्योग की उन्नति (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के महत्व को मान्यता देने और उनके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस लघु उद्योगों की भूमिका को उजागर करता है, जो अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो लघु उद्योगों की महत्ता और उनके योगदान को दर्शाती है:

    लघु उद्योग की उन्नति (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    लघु उद्योग की उन्नति

    लघु उद्योगों की दुनिया, चमक रही है खास,
    छोटे कदम से भी बड़ा हो सकता हर प्रयास,
    समाज की धड़कन, अर्थव्यवस्था की जान,
    इनके योगदान से चमकता हर स्थान।

    रोजगार के अवसर, गांव और शहर में,
    लघु उद्योग फैलाते खुशियाँ हर घर में,
    किसान, श्रमिक, उद्यमी का है स्नेह,
    हर मेहनतकश का सपना होता है सच।

    छोटे-छोटे कारखाने, छोटे-छोटे व्यवसाय,
    लघु उद्योगों की मेहनत से चमकती हर सास,
    आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ते कदम,
    आर्थिक स्वतंत्रता की ओर है ये संकल्प।

    सृजनशीलता की मिसाल, नवाचार का संग,
    हर चुनौती को अपनाकर चलता हर अंग,
    सपनों को सच करने का है ये जज्बा,
    लघु उद्योगों का योगदान अनमोल है सदा।

    प्रेरणा और उत्साह का प्रतिक,
    हर उद्योगपति का मेहनत और विश्वास है अतिक,
    राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर संकल्प लें,
    हर व्यवसाय को सहयोग और सम्मान दें।

    मूल्य वर्धन और निर्यात का मार्ग,
    लघु उद्योगों से चमकता देश का गौरव,
    उनकी सफलता की यह हो परिकल्पना,
    हर क्षेत्र में हो उनका विस्तार और सम्मान।

    आओ मिलकर मनाएं हम यह पर्व,
    लघु उद्योगों की सफलता का जश्न हो सर्व,
    हर प्रयास की सराहना हो,
    विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं हम सब।


    यह कविता लघु उद्योगों के महत्व और उनके विकास में भूमिका को उजागर करती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम छोटे और मध्यम उद्यमों की सराहना करें और उनके विकास के लिए योगदान दें, ताकि वे समाज और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।

  • शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो परमाणु हथियारों के परीक्षण और उनके खतरों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो शांति, सुरक्षा और परमाणु परीक्षण के खिलाफ संघर्ष को दर्शाती है:

    शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    शांति की पुकार

    जब धरती पर घेरते हैं अंधकार,
    परमाणु परीक्षण का हो रहा प्रहार,
    हर बम की धड़कन, हर विस्फोट,
    शांति का स्वप्न, हर दिल को चोट।

    आओ मिलकर करें हम आह्वान,
    परमाणु युद्ध से दूर, शांति का ध्यान,
    हर इंसान का हक है जीने का,
    प्रकृति की गोद में सुख से रहने का।

    विस्फोटों की गूंज, नफरत की भाषा,
    हजारों मासूमों की छीन ली आशा,
    बचाओ धरती को इस विनाशकारी बम से,
    हर जीवन को सुरक्षित रखो इस धरा पर।

    अनेक राष्ट्र मिलकर संकल्प लें,
    परमाणु परीक्षण का अंत करें,
    शांति के मार्ग पर हम चलें,
    हर दिल में प्रेम और भाईचारा पलें।

    सभी देशों की सुरक्षा का वादा,
    नफरत की जगह हो शांति का लावा,
    कृषि, विज्ञान और मानवता के संग,
    न हो विध्वंस, हो जीवन का रंग।

    आओ उठाएं हम ये आवाज,
    परमाणु परीक्षण की समाप्ति का संकल्प लें,
    धरती पर शांति का दीप जलाएं,
    हर जीव की सुरक्षा का संकल्प सजाएं।

    समाज में हर हाथ मिलाएं,
    सभी को सुरक्षित और खुशहाल बनाएं,
    परमाणु परीक्षण के खिलाफ हम खड़े,
    शांति की ओर बढ़ाएं, प्रेम की राह पर बढ़े।


    यह कविता परमाणु परीक्षण के खिलाफ जागरूकता और शांति की आवश्यकता पर जोर देती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम मिलकर एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया की ओर बढ़ें, जहां मानवता और जीवन की रक्षा की जा सके।