विश्व विकलांगता दिवस पर लेख
विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है बल्कि विकलांग जिसे अब दिव्यांग कहा जाता है हमारी तरह मनुष्य हैं।
विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है बल्कि विकलांग जिसे अब दिव्यांग कहा जाता है हमारी तरह मनुष्य हैं।
यह कविता 7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना पर विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष ध्यान देकर रचित की गई है।
ये प्लास्टिक अमर है(ye plastic amar hai) ये प्लास्टिक अमर है धरा के लिये जहर है। बन रहा है अब खतरा ,प्रकृति पर ये कहर है। करता है जल प्रदुषितजल रसायन उत्सर्जितहोता है बड़ा जहरीलाअब उत्पादन हो वर्जित जब पेट्रोलियम खपता हैतब जाकर यह बनता है।कभी नहीं यह सड़ता हैभूमि को बंजर करता है । … Read more
रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है। कहा जाता है कि एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति के लिये भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो कृष्ण … Read more