विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता
विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता समाज का एक वर्गइतराता नहीं ये कहने से,मूल्यों के विघटन मेंदूरदर्शन का हाथ है ।पर पवित्र ना होदृष्टिकोण तोलगता है दिन भीघनघोर रात है ।। कहीं चूक है अपनी जोमित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।वरना…
विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता समाज का एक वर्गइतराता नहीं ये कहने से,मूल्यों के विघटन मेंदूरदर्शन का हाथ है ।पर पवित्र ना होदृष्टिकोण तोलगता है दिन भीघनघोर रात है ।। कहीं चूक है अपनी जोमित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।वरना…
आओं खेलें सब खेल आओं खेलें सब खेल ।बन जाओ सब रेल।छुक छुक करते जाओ ।सवारी लेते जाओ ।कोई छुट ना जाए ।हमसे रूठ ना जाए ।सबको ले जाना जरूरी ।तय करनी लम्बी दूरी ।सबको मंजिल पहुंचायेंगे ।घुम फिरकर घर…
ओ नारी- मनीभाई नवरत्न जिन्दगी चले ना, बिन तेरे ओ नारी!उठा ली तूने, सिर अपने ऐसी जिम्मेदारी । मर्दों ने नाहक किये खुद पे ऐतबार ।सच तो यह है कि नारी होती जग की श्रृंगार ।महक ऐसे , फूल जैसे…
ये धरा अपनी जन्नत है ये धरा,अपनी जन्नत है।यहाँ प्रेम,शांति,मोहब्बत है। ईश्वर से प्रदत्त , है ये जीवन।बन माली बना दें,भू को उपवन।हमें करना अब धरती का देखभाल।वरना पीढ़ी हमारी,हो जायेगी कंगाल।सब स्वस्थ रहें,सब मस्त रहें।यही “मनी” की हसरत है॥1॥…
12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता मौत की दहलीज में ,जब कोई हो पड़े-पड़े।खून से लथपथ ,अंग भंग हो के सड़े-सड़े ।अपने तक तरस खाते,देख दूर खड़े-खड़े ।तब एक महिला ,पस-दुर्गंधों से लड़े-लड़े।अस्पताल में महत्वपूर्ण है इसकी भूमिका ।“सिस्टर”कहते…