बाल कविता- धरती पर कविता (आचार्य गोपाल जी)

धरती पर कविता

सभी से धरती करे गुहार ।
हृदय के कष्ट मिटाओ यार ।
मन में कुछ तो करो विचार ,
छोड़ो करना तुम अत्याचार।।


विटप बिलखते मेरे द्वार ।
मत कर तरु पर तू वार।
पादप पावन करे संसार,
तुम तरु लगाओ घरवार।।


पर्यावरण से कर तू प्यार ।
स्वच्छ बनाओ तुम ये संसार।
देख अपनी करनी का भार,
रोगों का यहां फैला है अंबार।।


मेरी व्यथा ना समझे संसार ।
करनी फल पाता हर बार।
कब बदलेगा तु व्यवहार,
संभल जरा अब नर-नार।।


ये दिवस से न होगा उद्धार
पेड़ लगाओ हर दिन यार।।



आचार्य गोपाल जी
उर्फ
आजाद अकेला बरबीघा वाले
प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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