Category हिंदी कविता

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दैव व दानवों की वृत्तियां /पुष्पा शर्मा “कुसुम”

दैव व दानवों की वृत्तियां /पुष्पा शर्मा “कुसुम”द्वारा रचित दैव व दानवों की वृत्तियां/ पुष्पा शर्मा “कुसुम” कंटक चुभकर पैरों मेंअवरोधक बन जाते हैं,किन्तु सुमन तो सदैव हीनिज सौरभ फैलाते हैं। बढा सौरभ लाँघ कंटकवन उपवन और वादियाँ,हो गया विस्तार…

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कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद / पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद / पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’ द्वारा रचित कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद/ पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’ कहाँ गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।घर का हर कोना हुआ,यादों से आबाद। चीख रहा…

पर्यावरण संकट

पर्यावरण संकट-माधवी गणवीर

पर्यावरण संकट जीवन है अनमोल, सुरक्षित कहां फिर उसका जीवन है,प्रक्रति के दुश्मन तो स्वयं मानव है,हर तरफ प्रदूषण से घिरी हमारी जान हैं,फिर भी हर वक्त बने हम कितने नादान है। मानव हो मानवता का कुछ तो धरम करो,जीवन के बिगड़ते…

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पर्यावरण हमारा /आचार्य मायाराम ‘पतंग’

पर्यावरण हमारा /आचार्य मायाराम ‘पतंग’ हमको जीवन देता है यह पर्यावरण हमारा । इसे नष्ट करने से होगा जीवन नष्ट हमारा ॥ अज्ञानी हम ज्ञान राशि, औरों को बाँट रहे हैं। उसी डाल पर बैठ उसे ही, जड़ से काट…

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पेड़ की पुकार / सुनहरी लाल वर्मा ‘तुरंत’

पेड़ की पुकार / सुनहरी लाल वर्मा ‘तुरंत’ रो-रोकर एक पेड़ लकड़हारे से एक दिन बोला क्यों काटता मुझको भैया तू है कितना भोला ! सोच समझ फिर बता मुझे मैं तेरा क्या लेता हूँ? मैं तो पगले! तुझको, जग…

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दान पर दोहे / डॉ एनके सेठी

दान पर दोहे देवें दान सुपात्र को,यही न्याय अरु धर्म।तज दें मन से मोह को,सत्य यही है कर्म।।1।। न्याय दानऔर धर्म का,अब हो रहाअभाव।आज जगत से मिट रहा,आपस का सद्भाव।।2।। सत् का जीवन में कभी, होता नहींअभाव।होता है जो भी…

फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा/ रेखराम साहू

— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा।यह तमाशा देखकर फ़रियाद है रोने लगा।। पाप दामन में बहुत हैं,पर उसे परवाह कब?गंग वह उल्टी बहाकर दाग़ है धोने लगा।। इस क़दर उसकी हवस…

परशुराम की प्रतीक्षा / रामधारी सिंह "दिनकर"

परशुराम की प्रतीक्षा / रामधारी सिंह “दिनकर”

परशुराम की प्रतीक्षा ChatGPT said: ChatGPT “परशुराम की प्रतीक्षा” कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें कवि ने समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार, और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नए परशुराम के अवतरण की प्रतीक्षा का वर्णन किया…

किसान खेत जोतते हुए

सपनों का दाना /मनीभाई नवरत्न

सपनों का दाना /मनीभाई नवरत्न जमीन में दफन होकरपसीने से सिंचितकड़ी देखभाल मेंउगता है ,सपनों का दाना बनके। लाता है खुशियां;जगाता है उम्मीद,कर्ज चुकता करने की।पर रह नहीं पाताअपने जन्मदाता के घर। खेत खलिहान से करता हैमंडे तक की सवारी।और…

किसान खेत जोतते हुए

कृषक मेरा भगवान / मनीभाई नवरत्न

कृषक मेरा भगवान / मनीभाई नवरत्न मैंने अब तकजब से भगवान के बारे में सुना ।न उसे देखा,न जाना ,लेकिन क्यों मुझे लगता हैकि कहीं वो किसान तो नहीं।। उस ईश्वर के पसीने सेबीज बने पौधे,पोषित हुये लाखों जीव।फसल पकने…