
कहाँ बचे हैं गाँव
ग्रामीण परिवेश पर आधारित रचना
ग्रामीण परिवेश पर आधारित रचना
ग्रामीण परिवेश पर रचना
इसे कविता में प्रातः कालीन छंटा का मानवीकरण है।
प्रातःकाल की छंटा बिखेरती कविता
मां सरस्वती वंदना और बसंत पंचमी विशेष रचना
वाणी वंदना : माँ वाणी अभिनंदन तेरा माँ वाणी, अभिनंदन तेरा, करती हिय से, वंदन तेरा, दिव्य रूप आँखों में भर लूं, तन हो जाये चंदन मेरा | माँ वाणी, अभिनंदन तेरा | जीवन अपना, अनुशासित हो, परिलक्षित हो, परिभाषित…
गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से…
बसंत पंचमी विशेष रचना ऋतुराज बसंत- शची श्रीवास्तव
लौट आओ बसंत न खिले फूल न मंडराई तितलियाँन बौराए आम न मंडराए भौंरेन दिखे सरसों पर पीले फूलआख़िर बसंत आया कब..? पूछने पर कहते हैं–आकर चला गया बसंत !मेरे मन में रह जाते हैं कुछ सवालकब आया और कब…
श्री रामचंद्र भगवान पर आधारित उपमेंद्र सक्सेना
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