पंछी की पुकार नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
पंछी की पुकार एक दिनसुबह-सुबहडरा-सहमा छटपटाता चिचिआता हुआ एक पंछीखुले आसमान सेमेरे घर के आंगन में आ गिरा मैंने उसे सहलायापुचकारा-बहलायादवाई दी-खाना दियाकुछेक दिन में चंगा हो गया वह आसमान की ओर इशारा करते हुएमैंने उसे छोड़ना चाहावह पंछीअपने पंजों से कसकरमुझे…