संकल्प कविता
संकल्प मेरी अंजुरी में भरे,जुगनू से चमकते,कुछ अक्षर हैं!जो अकुलाते हैं,छटपटाते हैं!सकुचाते हुए कहते हैं-एकाग्र चित्त होकर,अब ध्यान धरो!भीतर की शांति सेकोलाहल कम करो!अंतर के तम को मिटाकर,दिव्य प्रकाश भरो!झंझोड़ कर जगाओ,सोयी हुई मानवता को,भटकते राहगीरों कोसही दिशा दिखाओ!बुद्धत्व का…