Category हिंदी कविता

तीन कविताएं

तीन कविताएं                         1बाहें फैलायेमांग रही दुआएँ,भूल गया क्यामेरी वफ़ाएँ!ओ निर्मोही मेघ!इतना ना तरसा,तप रही तेरी वसुधाअब तो जल बरसा!                        2बूंद-बूंद को अवनी तरसे,अम्बर फिरभी ना बरसे!प्यासा पथिक,पनघट प्यासाप्यासा फिरा, प्यासे डगर से!प्यासी अँखिया पता पूछे,पानी का प्यासे अधर…

चंदन के ग़ज़ल (chandan ke gazal)

यहाँ पर चंद्रभान पटेल चंदन के ग़ज़ल (Chandan Ke Gazal) के बारे में पढेंगे यदि आपको अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर करें मैं दरिया के बीच कहीं डूबा पत्थर मैं दरिया के बीच कहीं डूबा पत्थर ,तू गहनों में…

रामनाथ की कुण्डलिया

रामनाथ की कुण्डलिया (1)  प्रातः  जागो भोर में ,                    लेके  हरि  का   नाम ।       मातृभूमि वंदन करो ,                    फिर पीछे सब काम ।।       फिर पीछे सब काम ,                   करो तुम दुनियादारी ।       अपनाओ    आहार ,                   शुद्ध ताजे  तरकारी ।।       कह…

holika-dahan

होलिका दहन पर हिंदी कविता / पंकज प्रियम

होलिका दहन पर हिंदी कविता / पंकज प्रियम बुराई खत्म करने का प्रण करेंआओ फिर होलिका दहन करें।औरत की इज्जत का प्रण करें,आओ फिर होलिका दहन करें। यहां तो हर रोज जलती है नारीदहेज कभी दुष्कर्म की है मारीरोज कोई…

ऋतु बसंत आ गया

ऋतु बसंत आ गया           बिखरी है छटा फूलों की,          शोभा इंद्रधनुषी रंगों की,          कोयल की कूक कर रही पुकार,          ऋतु बसंत आ गया,          आओ मंगल-गान करें।महुए के फूलों की मदमाती बयार,आम्र मंजरी की बहकाती मनुहार,सुरमई हुए जीवन के तार,ऋतु…

दिल की बात बताकर देखो

दिल की बात बताकर देखो दिल की बात बताकर देखोमन में दीप जलाकर देखो।कौन किसी को रोक सका हैनाता खास निभाकर देखो।आँखों की बतिया समझो तोलब पर मौन सजाकर देखो।इश्क़ सफ़ीना सबका यक साथोड़ा पार लगाकर देखो।लोग जगत सब मैला…

मंज़िल पर कविता

मंज़िल पर कविता   सूर्य की मंज़िल अस्ताचल तक,तारों की मंज़िल सूर्योदय तक।नदियों की मंज़िल समुद्र तक,पक्षी की मंज़िल क्षितिज तक। अचल की मंज़िल शिखर तक,पादप की मंज़िल फुनगी तक।कोंपल की मंज़िल कुसुम तक,शलाका की मंज़िल लक्ष्य तक। तपस्वी की…

फागुन में पलाश है रंगों भरी दवात

फागुन में पलाश है रंगों भरी दवात फागुन में पलाश है, रंगों भरी दवात ।रंग गुलाबी हो गया, इन रंगों के साथ ।।अँखियों से ही पूछ गया, फागुन कई सवाल ।ख्बावों का संग पा लिया, ये नींदें कंगाल ।।पलट-पलट मौसम…

फागुन आ गया

     फागुन आ गया हर्षोल्लास था गुमशुदादौर तलाश का  आ गया।गुम हुई खुशियों को लेकरफिर से  फागुन आ गया॥झुर्रियां  देखी जब चेहरे पर लगा बुढ़ापा आ गया।उम्र की सीमा को तोड़करउत्साही फागुन आ गया॥अहंकार का घना कोहराएकाकीपन  छा गया।अंधेरों को चीरकर…

बासंती फागुन

⁠⁠⁠ बासंती फागुन ओ बसंत की चपल हवाओं,फागुन का सत्कार करो।शिथिल पड़े मानव मन मेंफुर्ती का  संचार करो।1बीत गयी है आज शरद ऋतु,फिर से गर्मी आयेगी.ऋतु परिवर्तन की यह आहट,सब के मन को भायेगी।2कमल-कमलिनी ताल-सरोवर,रंग अनूठे दिखलाते।गेंदा-गुलाब टेसू सब मिलकरइन्द्रधनुष…