Category हिंदी कविता

मैं भी सांता क्लाॅज

मैं भी सांता क्लॉज क्रिसमस डे को सुबह सवेरे मैं भी निकला बन ठन कर सांता क्लॉज के कपड़े पहन चलने लगा झूम झूम कर पीठ पर लिया बड़ा सा थैला खिलौने रख लिए भर भर कर लंबी दाढ़ी पर…

पैसों के आगे सब पराया

मुश्किल समय में नहीं आता है; अपने ही अपनो के काम होगा। आगे चलकर भुगतना पड़ता है; ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1। मोल पैसों का नहीं संस्कार का है; प्यार से करो बात मन में जगता आस। माता-पिता…

जिम्मेदारी पर कविता

कविता-जिम्मेदारियां जिम्मेदारियां एक बोझ है ढोने वाले पर लद जाते हैं, ना ढोने वाले को नासमझ/ नालायक/ आवारा लोग कह जाते हैं, जिम्मेदारियां, जीवन का एक पहलू है बिना जिम्मेदारी के जीवन जानवर का बन जाते हैं , जिम्मेदारियों से…

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता पलटी खाता वक्त बेवक्त, मुंह बिचका के चिढ़ाता है। किया धरा पानी फिराता, वक्त ओंधे मुंह गिराता है।। सगा नहीं किसी का वक्त, हर वक्त चलता रहता है। कभी धूप कभी छांव सा, स्वरूप बदलता रहता है।।…

जीवन का पथ

जीवन का पथ दूर भले हो पथ जीवन का त्याग हौसिला कभी न मन का चलना सीखो अपने पथ पर चलते चलना बढ़ हर पग पर आलस में ना समय गवांना बिना अर्थ ना समय बिताना लक्ष्य तभी जब ना…

एक मुस्कान

एक मुस्कान मनुजता शूचिता शुभता,खुशियों की पहचान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े पर,धवल मुस्कान होती है। इसी बिटिया से ही खुशियाँ,सतत उत्थान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े,पर धवल मुस्कान होती है। सदन में हर्ष था उस दिन,सुता जिस…

लक्ष्य पर कविता

लक्ष्य पर कविता लक्ष्य बना लो जीवन का तुम फिर सपने बुनना सीखो छोड़ सहारा और किसी का खुद पथ पर चलना सीखो लक्ष्य नहीं फिर जीवन कैसा? व्यर्थ यहां जीना तेरा साध लक्ष्य जीवन का अपने चल पथ का…

अपना-अपना एक सितारा- उपमेंद्र सक्सेना

अपना-अपना एक सितारा इतने तारे आसमान में, उनका क्यों संज्ञान करें अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें। दुनिया के सब काम आजकल, मतलब से ही चलते हैंभोले -भालों की छाती पर, दुष्ट मूँग अब दलते हैंअपना उल्लू सीधा…

संविधान का सम्मान – अखिल खान

संविधान का सम्मान स्वतंत्रता के खातिर,कितने गंवाएं हैं प्राण,संविधान के लिए,वीरों ने दी है अपनी जान।अस्पृश्यता,दुर्व्यवहार में लिप्त था समाज,समाज में अत्याचारी-राक्षस,करते थे राज।दु:खियों,बेसहारों का होता था नित अपमान,प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान। एक – रोटी के टुकड़े के लिए,तरसते…

मैं हूँ मोहब्बत – विनोद सिल्ला

मोहब्बत मुझेखूब दबाया गयासूलियों परलटकाया गयामेरा कत्ल भीकराया गयामुझे खूब रौंदा गयाखूब कुचला गयामैं बाजारों में निलाम हुईगली-गली बदनाम हुईतख्तो-ताज भीखतरा मानते रहेरस्मो-रिवाज मुझसेठानते रहेजबकि में एकपावन अहसास हूँहर दिल केआस-पास हूँबंदगी काहसीं प्रयास हूँमैं हूँ मोहब्बतजीवन का पहलूखास हूँ।…