Category: दिन विशेष कविता

  • परिचारिका पर कविता -मदन सिंह शेखावत

    इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह


    परिचारिका पर कविता -मदन सिंह शेखावत

    अथक परिश्रम करने वाली।
    नित्य करे तीमारदारी।
    रहे बीमारों के बीच में।
    मुस्कराकर करे खातिरदारी।
    सुन्दर सुखद शब्दो को
    चुनकर।
    करती परेशानी दूर।
    रोज लगी है यह परिचारिका।
    रोग भगाये नित्य दूर।
    श्वेत लिबास में रहती प्रतिदिन।
    दिनभर करती भागादौङ।
    सबकी बाते सहज भाव सुन।
    आगे पीछे करती दौङ।
    बिन बच्चो की परवाह किये,
    करती है मेहनत अकूत।
    यह देवी का रूप मनोहर।
    करती सबकी पीड़ा दूर।।



    मदन सिंह शेखावत ढोढसर

  • देवियाँ( विश्व नर्स दिवस पर बाबूलाल शर्मा की कविता)-बाबू लाल शर्मा

    इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

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    देवियाँ( विश्व नर्स दिवस पर बाबूलाल शर्मा की कविता)

    मुक्तछंद- नई कविता
    (विश्व नर्स दिवस-१२ मई)

    देवियाँ
    सुना है आदि शक्ति
    परमेश्वरी, भगवती
    दुर्गा..गौरी .सीता।

    पढा है… राधा, मीरा
    लक्ष्मीबाई, अहिल्या
    पद्मिनी, इन्द्रा, गीता।

    रजत पट पर देखी
    हेमा, काजोल ,करीना,
    श्री देवी, सुपुनीता।

    देख रहें है, हम- तुम
    वैश्विक महामारी में भाव
    मानवीय, दैवीय सब रीता।

    नहीं…. नहीं.. नहीं…!
    लड़ रही है महामारी से
    बचाने मानव को ‘मीता’।

    हाँ वे बहिने –
    *सिस्टर* अस्पताल में
    उखड़ती साँसों को सहारा
    देती नर्स- लगाती हैं टीका

    सँभाल रही है उन्हे –
    जिन्हे छोड़ चुके अपने
    सोचकर कि-युग बीता

    सच में देखनी है अप्सराएँ
    देवियाँ या मातृशक्ति,भवानी
    आदिशक्ति परिणीता।

    चलें एक चक्कर लगालें
    किसी अस्पताल का आज
    नमन करने – ‘सच गीता’।


    ✍©
    बाबू लाल शर्मा बोहरा विज्ञ
    सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

  • कोरोना काल में परिचारिकाओं के लिए कविता – शिवांशी यादव

    इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

    कोरोना वायरस
    corona

    कोरोना काल में परिचारिकाओं के लिए

    मानव विज्ञान से पढी हुई।
    हर वक़्त सेवा में खडी हुई।
    पीड़ितों से जुड़ी हुई
    ऐसी होती परिचारिका ।

    लोगों की जान बचाएं।
    परिवार को बचाएं।
    खुद की जान खतरे में डालकर ।
    अपने परिवार से दूर होकर।
    चाहकर भी उनके पास ना जाकर
    अपनों को बचाती परिचारिका।
    पीड़ितों को अपना मानकर
    उनका उपचार करती परिचारिका
    ऐसी होती परिचारिका।

    परिचारिका शब्द कर्त्तव्य से जोडता
    अपना कर्तव्य निभाती परिचारिका
    माँ-बाप की परी होती परिचारिका
    पीड़ितों के लिए सहायिका बन जाती परिचारिका
    ऐसी होती परिचारिका ।

    पस और गन्दगी से लड़े-लड़े
    पीड़ितों के लिए खड़े-खड़े
    ऐसी होती परिचारिका ।
    जिसे कहते सब सिस्टर
    वही है सबकी प्रोटेक्टर
    जिसे कहते सब परिचारिका
    वही है सबकी उपचारिका
    ऐसी होती परिचारिका ।।


    नाम- शिवांशी यादव
    उम्र-15

  • वो है अपना दाई परिचारिका – अकिल खान ( नर्स दिवस पर कविता)

    इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    वो है अपना दाई परिचारिका – अकिल खान


    बीमार लोगों का सहारा, अनाथों का सहारा,
    छूत हो या अछूत हो, हर मरीज का है सहारा,
    मरीजों को दवा के साथ साथ देती है टीका,
    करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।



    माँ की ममता बहन की प्यार है जिसमें समाई,
    दुर्गंध घाव और खून को देख जो कभी नही घबराई।
    अस्पताल हो या युद्ध मैदान, सेवा में है जिसकी भूमिका,
    करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।


    बेसुध लोगों का वो सुध लेती आई।
    मरीजों के मन में सदा ढांढस बंधाई।
    अस्पताल रूपी वन में हो वात्सल्य रूपी वाटिका,
    करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।


    तेरा गुण तेरा कर्म है अकल्पनीय अद्वितीय जैसा,
    तू मिशाल है , शामिल हैं कई धाय माँ और मदर टेरेसा।
    अस्पताल में सभी समान , नहीं है भेद किसी काले या गोरे का,
    करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।।


    अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.)

  • विश्व परिवार दिवस पर कविता -अमिता गुप्ता

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार

    विश्व परिवार दिवस पर कविता -अमिता गुप्ता


    15 मई को हम सब विश्व परिवार दिवस मनाते हैं,
    क्या है महत्ता इस परिवार की यह हम आपको बतलाते हैं,
    परिवार है एकता के सूत्र की माला,जिसमें हर सदस्य समाया है,
    जीवन की नैया को रंग बिरंगे रंगों से सजाया है,
    परिवार है हमारा रक्षा कवच,
    जिसने ढाल की तरह हमारा अस्तित्व बचाया है,
    जहां मिलता है दादी मां का प्यार,
    बाबाजी का दुलार,सब माननीयों का आशीर्वाद,
    इन सबकी दुआओं से घर रहता सदा आबाद।

    आज इस आधुनिकीकरण के दौर में,
    परिवार संयुक्त से एकल हो रहे,
    नैतिक मूल्यों के ज्ञान को,
    सब रफ्ता -रफ्ता खो रहे,
    कहीं द्वेष बढा़,कहीं दंभ बढा़,
    रिश्तो में निहित प्यार मिट गया,
    घर में ना जाने कब फूट पड़ी,
    भाई -भाई में रोष बढा़,
    मां-बाप की अवहेलना शुरू हुई,
    यह परिवार संकीर्णता में सिमट गया।


    संकीर्ण मानसिकता से,
    सब जन बाहर निकले,
    कदम से कदम मिलाकर,
    देश की नींव सुदृढ़ करें,
    संयुक्तता की डोर से परिवारों में,
    प्यार और सौहार्द का दीप जले,
    अमिता आह्वान कर रही,
    सब मिल परिवार दिवस की सार्थकता चरितार्थ करें,
    अपनी चंद पंक्तियों से हम यही बताते हैं,
    15 मई को हम सब विश्व परिवार दिवस मनाते हैं।।


    —-✍️अमिता गुप्ता