ग्रहों पर कविता
ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिएकुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते होबहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व में लाना चाहते होताकि तुम अपने को साबित कर सकोइस फेर में असंख्य व्यक्तियों से … Read more