Category: दिन विशेष कविता

  • ग्रहों पर कविता

    ग्रहों पर कविता

    ग्रहों पर कविता

    तुम जो हो जैसे हो
    उतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं

    तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिए
    कुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते हो
    बहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व में लाना चाहते हो
    ताकि तुम अपने को साबित कर सको
    इस फेर में असंख्य व्यक्तियों से भर गए हो तुम
    और जिस दिन तुम्हें लगेगा
    कि तुम अपने होने को याने नए वजूद को लगभग साबित करने वाले हो
    तभी तुम्हें यह अहसास होगा
    कि तुम वो बिलकुल भी नहीं हो जो साबित कर रहे हो।

    तुम जैसे हो
    उससे बिलकुल भी सन्तुष्ट नहीं हो
    तुम हर पल वैसा होना चाहते हो जैसा हो नहीं
    शायद तुम वैसा बन भी न पाओ जैसा बनना चाह रहे हो
    वैसा बनने की यात्रा में तुम्हें अपनी कितनी सारी पहचाने
    मिटाने भी पड़ेंगे
    और जिस दिन तुम्हें लगेगा
    कि जैसा बनना चाहते थे लगभग वैसा बनने ही वाले हो
    तभी तुम्हें अहसास होगा
    कि तुम बिलकुल भी वैसे नहीं हो जैसा बनना चाह रहे थे।

    तुम पहले ही पर्याप्त थे
    मग़र अपनी असंतुष्टि के दौड़ में
    तुम वो नहीं रहे, तुम वैसे भी नहीं रहे
    अब अपर्याप्तता की इस बिंदु पर दौड़ समाप्त हो चुकी है
    पूर्णता की इस तलाश में समय भी निकल चुका है
    तुम्हें अब आधे-अधूरे ही जीना होगा यह अभिशप्त जीवन।

    नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

  • गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

    गरीबी पर कविता

    गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमें
    जो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?
    मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँ
    वाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है?

    ?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़

  • निर्भया न्याय दिवस पर कविता

    निर्भया न्याय दिवस पर कविता

    सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।
    स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।
    हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।
    दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।
    सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।
    अब हो नहीं समाज में, फिर ऐसी घटना कभी।

    सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया ,महासमुन्द,छ.ग.

  • किसान की दशा पर कविता

    किसान की दशा पर कविता

    किसान की दशा पर कविता

    किसान खेत जोतते हुए
    23 दिसम्बर किसान दिवस 23 December Farmer’s Day

    देख तोर किसान के हाल
    का होगे भगवान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान,
    ये का दुख दे भगवान !!

    पर के जिनगी बड़ सवारें,
    अपन नई थोरको फिकर जी !
    बजर दुख उठाये तन म,
    लोहा बरोबर जिगर जी !!
    पंगपंगावत बेरा उठ जाथे ,
    तभे होथे सोनहा बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    झुमत -गावत ओनहारी -सियारी ,
    देखे मन म खुश रहे किसान !
    सथरा नंगालीस पानी बईरी,
    देके कईसे लेेेगे भगवान !!
    ठेंगवा देखादेस दुलरवा बेटा ल,
    होगे अब मरे बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    पानी बिना धान झुरागे ,
    पनिहा अंकाल चना म आगे !
    करजा बोड़ी म बोए चना ,
    देखते देखत पानी म रखियागे !!
    सपना उजड़गे दूजराम के ,
    माढ़े रहिगे सबो गियान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील- खैरागढ़
    जिला -राजनांदगाँव (छ ग)

  • प्रेम दिवस पर कविता

    प्रेम दिवस पर कविता

    चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी
    मुख पर कुसुम सी कोमलता
    तरूणाई जैसे उफनती तरंगिणी
    उर में मिलन की व्याकुलता

    जवां जिस्म की भीनी खुशबू
    कमरे का एकांत वातावरण
    प्रेम-पुलक होने लगा अंगों में
    जब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन

    डूब गया तन प्रेम-पयोधि में
    तीव्र हो उठा हृदय स्पंदन
    अंकित है स्मृति पटल पर
    प्रेम दिवस पर प्रथम मिलन

    ………………..

    :-आलोक कौशिक