राष्ट्र भाषा हिन्दी – बाबूराम सिंह

हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

14 सितम्बर-2022 हिन्दी दिवस पर विशेष

राष्ट्र भाषा हिन्दी – बाबूराम सिंह

कविता संग्रह
कविता संग्रह

सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सुखद सलोना शुभ,
सरल सरस शुचितम सुख कारी है।
भव्य भाव भूषित भारत भरम भरोस,
निज अंक भरे जन-जन हितकारी है।

अनमोल एकता का अनूठा स्तम्भ दृढ,
अविचल विश्व बन्धुत्व की पुजारी है।
हर भाव हर दृष्टिकोण से उत्तम अति,
कवि बाबूराम भाषा हिन्दी हमारी है।

अस्तु जागरूक एकजुट हो यतन बिच,
प्रचार प्रसार सभी हिन्दी की हीं कीजिए।
होवे हर कार्य हर क्षेत्र बिच हिन्दी में हीं,
संसदों में व्यक्तव्य हिन्दी में हीं दीजिए।

भाषणों उदघोषणो और वार्तालाप बिच,
हिन्दीको हीं सभीआत्मसात कर लीजिए।
हिन्दीबिना हिन्द खुशहाल कभीहोगा नहीं,
कवि बाबूराम हिन्दी प्रेम रस पीजिए।

भारत आजादी स्वाधीनता सम्पूर्ण तभी,
हिन्दी हर ओर जब हर में समायेगी।
भारतभव्य भालकी अनुप बिन्दी हिन्दी है,
सुयश सुख शान्ति हिन्दी से लहरायेगी।

विश्व में अटल अतुल आर्यावर्त हिन्दी से,
विश्व गुरु गौरव गुण हिन्दी बढायेगी।
संस्कृति सभ्यता की शान कवि बाबूराम,
आपस में समरसता हिन्दी हीं लायेगी।

स्कूल कालेज कोर्ट आफिस हर घर में,
हिन्दी की अचूक सभी आलोक फैलाइये।
हर हिन्द वासी भेद-भाव जात-पात छोड़,
हिन्दी सु – पताका चहुँ ओर फहराइये।

आजादी का मूलमंत्र राज हर खुशियों का,
मानवता माधुर्य शुचि हिन्दी से हीं पाइये।
राष्ट्र धर्म न्याय नीति सबके उत्थान हेतु,
कवि बाबूराम हिन्दी सार में समाइये।

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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰ नं॰ – 9572105032
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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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