चार के चरचा*****4***चार दिन के जिनगी संगीचार दिन के हवे जवानीचारेच दिन तपबे संगीफेर नि चलय मनमानी।चारेच दिन के धन दौलतचारेच दिन के कठौता।चारेच दिन तप ले बाबूफेर नइ मिलय…
मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री मगर संक्रांति आई है। मकर संक्रांति आई है। मिटा है शीत प्रकृति में सहज ऊष्मा समाई है।उठें आलस्य त्यागें हम, सँभालें मोरचे अपने…
बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह 'सुमन' शिवमंगल सिंह 'सुमन ' मां कब से खड़ी पुकार रही, पुत्रों, निज कर में शस्त्र गहो । सेनापति की आवाज हुई, तैयार रहो, तैयार…
सबकी प्यारी भूमि हमारी / कमला प्रसाद द्विवेदी सबकी प्यारी भूमि हमारी, धनी और कंगाल की। जिस धरती पर गई बिखेरी, राख जवाहरलाल की ।।दबी नहीं वह क्रांति हमारी, बुझी…
जीत मरण को वीर / भवानी प्रसाद तिवारी भवानी प्रसाद तिवारी जीत मरण को वीर, राष्ट्र को जीवन दान करो, समर-खेत के बीच अभय हो मंगल-गान करो। भारत-माँ के मुकुट…
आज सिंधु में ज्वार उठा है / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी कुरुक्षेत्र के कण-कण से फिर, पांचजन्य हुंकार उठा है। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिंदुस्तान हमारा, जग…
मर्द का दर्द / डॉ विजय कुमार कन्नौजे नारी बिना ना मर्द हैंमर्द का एक दर्द है।एक अनजाने कन्या लाकरपालने पोसने का कर्ज है।सिर झुका विनती नार कोहाथ जोड़ अर्ज…