हम तो उनके बयानों में रहे -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

हम तो उनके बयानों में रहे हम जब तक रहे बंद मकानों में रहे।वे कहते हैं हम उनके ज़बानों में रहे।1। उनके लिए बस बाज़ार है ये दुनियाँगिनती हमारी उनके…

समय का चक्र डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’ की कविता

समय का चक्र चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को निःशब्द जला रही थीं! रोकती रही मैं मगर सताता रहाताकत पर अपनी इतराता रहा! भूल जाता बचपन में तुझे…

बेटियां सिर्फ होती पराई हैं…?- संतोष नेमा “संतोष”

बेटियां सिर्फ होती पराई हैं दिल्लीहैदराबादऔऱउन्नाव..!!कहाँ हैबेटियों कासुरक्षितठाँव..??शहरदर शहरदरिंदगीबदस्तूरजारी है.!!घटनाओं कीखिलतीरोज नईएक पारी है..!!नेता अबनित नएबयानफेंकते हैं..!ऐसे मौकों पर भीराजनीतिकरोटियांसेंकते हैं..!!क्या यहीपरिदृश्यहै आज का..?हिंदुस्तानीसभ्य समाज का..!!कहाँ गएकानून केलंबे हाथ..?हम क्योंहो…

न्याय प्रक्रिया में सुधार जरूरी है-संतोष नेमा “संतोष”

न्याय प्रक्रिया में सुधार हैदराबादकांड पर जोमानवाधिकारवाले उन्हेंकल तकअनाचारियों कोदानव कहते थे..!और बड़े हीबेफिक्री सेरहते थे.!!आज उनकाअंजाम देखउनकीमानवताजागी..!बोले बिनन्यायालय मेंअपराध सिद्ध हुएवो कहाँ हैं दागी..?यह सुन एकमहिलाबौखलाई..!बोली येदोगली नीतिकहाँ से…

दर्द के रूप कविता

दर्द के रूप कविता स्वयं के दर्द से रोना,अधिकतर शोक होता है।परायी-पीर परआँसू,बहे तो श्लोक होता है। निकलती आदि कवि की आह से प्रत्यक्ष भासित है,हृदय करुणार्द्र हो,तब अश्रु पर…

तेरे लिए पर कविता- R R SAHU

तेरे लिए पर कविता दिन की उजली बातों के संग,मधुर सलोनी शाम लिखूँ।रातें तेरी लगें चमकने,तारों का पैगाम लिखूँ।। पढ़ने की कोशिश ही समझो,जो कुछ लिखता जाता हूँ।गहरे जीवन के…

जिंदगी पर कविता -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जिंदगी पर कविता आज सुबह-सुबहमित्र से बात हुईउसने हमारेभलीभांति एक परिचित कीआत्महत्या की बात बताईमन खिन्न हो गया जिंदगी के प्रतिक्षणिक बेरुखी-सी छा गईसुपरिचित दिवंगत का चेहराउसके शरीर की आकृतिहाव-भावमन…

बेटी की व्यथा पर कविता -दूजराम -साहू

बेटी की व्यथा पर कविता बेटी की व्यथा करूण रस - अब न जन्मूँ "वसुंधरा" में, कर जोर विनती कह रही !सूर - कबीरा के "धरा" में,देखो "बेटी" जुल्म सह…

बेटियों के नसीब में कविता- डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’

बेटियों के नसीब में कविता बेटियों के नसीब में, जलना ही है क्याकाँटे बिछे पथ पर चलना ही है क्याविषम परिस्थितियों में ढलना ही है क्यासबके लिए खुद को बदलना…

कहां पर खो गया हिंदुस्तान?- शिवराज सिंह चौहान

कहां पर खो गया हिंदुस्तान? खुदा खौफ खाए बैठे,भयभीत भये भगवान।ये कैसा हो गया हिंदुस्तान,कहां पे खो गया हिंदुस्तान।। कोख में बैठी बेटी भी,ये सोच सोच घबराए।जन्म से लेकर मरण…