स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं

स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं ऐसी रोजगार नही चाहिए,जिसमें राजनीति की बू आती है।घूसखोर जिसमें पैसा लेते हैं,और डिग्रीयां देखी नहीं जाती हैं। पैसों की शान शौकत से वह, रोजगार तो हासिल…

पिता होने की जिम्मेदारी – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

पिता होने की जिम्मेदारी दो बच्चों का पिता हूँ मेरे बच्चे अक्सर रात मेंओढ़ाए हुए चादर फेंक देते हैओढ़ाता हूँ फिर-फिरवे फिर-फिर फेंकते जाते हैं उन्हें ओढ़ाए बिना… मानता ही…

पितृ पक्ष का सच्चा श्राद्ध-धनंजय सिते(राही)

पितृ पक्ष का सच्चा श्राद्ध ' आजका बच्चा कलका यूवाऔर परसो बुढ़ा होना है!ये प्रकृती का नियम है सबकोएक दिन इससे गुजरना है!!               …

इंतज़ार आँखे में

इंतज़ार आँखे में इंतज़ार करती है आँखेहर उस शक्श की, जिसकी जेब भरी हो,किस्मत मरी हो, लूट सके जिसे,छल सके जिसे, इंतज़ार करती है आँखे। इंतज़ार करती है आँखेहर उस बीमार की, जो…
village based Poem

मेरे गांव का बरगद – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

मेरे गांव का बरगद  मेरे गाँव का बरगदआज भी वैसे ही खड़ा हैजैसे बचपन में देखा करता थाजब से मैंने होश संभाला हैअविचलवैसे ही पाया है हम बचपन में उनकी लटों से झूला…

जीवन रुपी रेलगाड़ी – सावित्री मिश्रा

जीवन रुपी रेलगाड़ी कभी लगता है जीवन एक खेल है,कभी लगता है जीवन एक जेल है।पर  मुझे लगता है कि ये जीवनदो पटरियों पर दौड़ती रेल है।भगवान ने जीवन रुपी…

तुम्हारे होने का अहसास

तुम्हारे होने का अहसास तुम आसपास नहीं होतेमगर आसपास होते हैंतम्हारे होने का अहसासमन -मस्तिष्क में संचिततुम्हारी आवाजतुम्हारी छविअक़्सरहूबहूवैसी-हीबाहर सुनाई देती हैदिखाई देती हैतत्क्षणतुम्हारे होने के अहसास से भर जाता हूँधड़क जाता…
हाइकु

सुकमोती चौहान के हाइकु

सुकमोती चौहान के हाइकु पितर पाख~पति की तस्वीर मेंफूलों की माला। पूस की रात~भुट्टे भून रही हैअलाव में माँ। श्मशान घाट~कुत्ते के भौंकने सेसहमा रामू। श्रृंगार पेटी~गौरैया नोंचे देखशीशा में…

बेटी की पुकार

      बेटी की पुकार बेटी की व्यथा पिता का मैं ख्याल रखूंगीतेरे कहे अनुसार मैं चलूंगीरूखी सूखी ही मैं खा लूंगीमत मार मुझे सुन मेरी मांमुझे धरा पर…

संकल्प कविता

संकल्प मेरी अंजुरी में भरे,जुगनू से चमकते,कुछ अक्षर हैं!जो अकुलाते हैं,छटपटाते हैं!सकुचाते हुए कहते हैं-एकाग्र चित्त होकर,अब ध्यान धरो!भीतर की शांति सेकोलाहल कम करो!अंतर के तम को मिटाकर,दिव्य प्रकाश भरो!झंझोड़…