स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं ऐसी रोजगार नही चाहिए,जिसमें राजनीति की बू आती है।घूसखोर जिसमें पैसा लेते हैं,और डिग्रीयां देखी नहीं जाती हैं। पैसों की शान शौकत से वह, रोजगार तो हासिल…
पिता होने की जिम्मेदारी दो बच्चों का पिता हूँ मेरे बच्चे अक्सर रात मेंओढ़ाए हुए चादर फेंक देते हैओढ़ाता हूँ फिर-फिरवे फिर-फिर फेंकते जाते हैं उन्हें ओढ़ाए बिना… मानता ही…
इंतज़ार आँखे में इंतज़ार करती है आँखेहर उस शक्श की, जिसकी जेब भरी हो,किस्मत मरी हो, लूट सके जिसे,छल सके जिसे, इंतज़ार करती है आँखे। इंतज़ार करती है आँखेहर उस बीमार की, जो…
मेरे गांव का बरगद मेरे गाँव का बरगदआज भी वैसे ही खड़ा हैजैसे बचपन में देखा करता थाजब से मैंने होश संभाला हैअविचलवैसे ही पाया है हम बचपन में उनकी लटों से झूला…
तुम्हारे होने का अहसास तुम आसपास नहीं होतेमगर आसपास होते हैंतम्हारे होने का अहसासमन -मस्तिष्क में संचिततुम्हारी आवाजतुम्हारी छविअक़्सरहूबहूवैसी-हीबाहर सुनाई देती हैदिखाई देती हैतत्क्षणतुम्हारे होने के अहसास से भर जाता हूँधड़क जाता…
सुकमोती चौहान के हाइकु पितर पाख~पति की तस्वीर मेंफूलों की माला। पूस की रात~भुट्टे भून रही हैअलाव में माँ। श्मशान घाट~कुत्ते के भौंकने सेसहमा रामू। श्रृंगार पेटी~गौरैया नोंचे देखशीशा में…
संकल्प मेरी अंजुरी में भरे,जुगनू से चमकते,कुछ अक्षर हैं!जो अकुलाते हैं,छटपटाते हैं!सकुचाते हुए कहते हैं-एकाग्र चित्त होकर,अब ध्यान धरो!भीतर की शांति सेकोलाहल कम करो!अंतर के तम को मिटाकर,दिव्य प्रकाश भरो!झंझोड़…