अकड़ पर कविता जीवन के इस उम्र तकना जाने कितने मुर्दे देखे। कितनो को नहलाया तैयार भी कियाऔर पाया केवल अकड़सचमुच मुर्दो में अकड़ होती है लेकिन जीते जी इंसान …
अब गरल है जिंदगी. शौक कहाँ साहेब,तब जरूरतें होती थीं,रुपया बड़ा,आदमी छोटा,पूरी न होने वाली हसरतें होती थीं!मिठाइयों से तब सजते नहीं थे बाज़ार,आये जब कोई,पर्व-त्योहार,पकवानों से महकता घर,भरा होता…
हरियाली पर कविता HINDI KAVITA || हिंदी कविता एक वृक्ष सौ पुत्र समान|जंगल वसुधा की शान||पर्यावरण सुरक्षित कर |धरती का रखें सम्मान|| स्वच्छ परिवेश बनाना है|पेड़ अधिक लगाना है ||हरितमा…
नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषानमन तुम्हें से मातृभाषाजीवंत तुम्हें अब रहना हैपुष्पों के जैसे खिलना है। अंग्रेजों ने था अस्तित्व मिटायाहिन्दी भाषा को मृत बनायाअपनी भाषा का…
निराला प्रकृति निराला रूप प्रकृति का , लगता है चितचोर।भाये मन को ये सदा , करता भाव विभोर।।करता भाव विभोर , सभी को खूब लुभाता।फैला चारों ओर , मनुज दोहन…
हिन्दी का शृंगार आ सजनी संग बैठआज तुझे शृंगार दूँमेरी प्रिय सखी हिंदीमैं तुझको संवार दूँ । कुंतिल अलकों के बीचऊषा की सजा कर लालिमा,मुकलित कलियों की वेणीजूड़े के ऊपर…
जय हो तेरी बाँके बिहारी माँखन तुमने बहुत चुराए, बांसुरी तुमने बहुत बजाए,गोपियों को तुम बहुत सताए,माँ को उलहन बहुत सुनाए,ऐसी लीला करके गिरधर, पावन कर दीए धरा हमारी, जाऊँ…