लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना में खुदा की इबादत की गयी है |
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना में खुदा की इबादत की गयी है |
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना में भगवान् श्री राम की स्तुति की गयी है |
राम स्तुति – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस रचना में चंद्रदेव भगवान् की स्तुति की गयी है |
सोम स्तुति ( चन्द्र स्तुति ) – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए,मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। दो बार नहीं यमराज कण्ठ हरता है,मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे।जीना है तो मरने से नहीं डरो रे॥ आँधियाँ नहीं जिसमें उमंग भरती … Read more
मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी सूरज-सा दमकूँ मैंचंदा-सा चमकूँ मैंझलमल-झलमल उज्ज्वलतारों-सा दमकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। फूलों-सा महकूँ मैंविहगों-सा चहकूँ मैंगुंजित कर वन-उपवनकोयल-सा कुहकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। नभ से निर्मलता लूँशशि से शीतलता लूँधरती से सहनशक्तिपर्वत से दृढ़ता लूँमेरी अभिलाषा है। मेघों-सा मिट जाऊँसागर-सा लहराऊँसेवा के पथ पर मैंसुमनों-सा बिछ जाऊँमेरी अभिलाषा है। -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी