हर क्षण नया है

हर क्षण नया है। साल नया आ गया गौर से देखो हर क्षण नया होता है।कुछ मिलता है, कुछ खोना होता है।हर क्षण नया होता है। जीवन के इस सफर में, कोई अपना कोई पराया होता है।सुख, दुःख की दो धार में,हर क्षण नया होता है। लोग मिलते हैं बिछड़ते हैं। जो जिसे दिल से … Read more

लो..और कर लो विकास पर कविता

*लो..और कर लो विकास !* ग्लेशियर का टूटना और ये भूकम्प का आनाभूस्खलन,सुरंग धसना और बादल फटना,सरकार और कॉरपोरेट जगत तो मानते हैंये सभी है महज एक सहज प्राकृतिक घटना ! इस तरह की कई हादसों का जिम्मेदार हैविकास की भूख और कई-कई परियोजना ,होटल,रिसॉर्ट,पुल,बांध,विभिन्न अवैध खनन और अनियंत्रित मानव बसाहट का होना ! कई … Read more

आत्म ज्ञान ही नया दिन

जिस दिन जीवन खुशहाल रहे,जिस दिन आत्मा ज्ञान प्रकाश रहे,उस दिन दीवाली है।जिस दिन सेवा समर्पण भाव रहे,जिस दिन नवीन अविष्काररहेनव वर्ष आने वाली हैं।जिस दिन घर घर पर दीपजले,जिस दिन पापियन निज हाथ मलेउस दिन दीवाली है।नव वर्ष की खुशहाल त्योहारउस दिन हम मनायेंगे।जिस दिन भारत भुमि में नव दिन ज्योति जलायेंगे।।नया वर्ष मनायेंगे,नव … Read more

कल्पना शक्ति पर कविता

कल्पना शक्ति बनाम मन की अभिव्यक्ति! भावावेश में आकर,कल्पनाओं के देश में जाकर,अक्सर बहक जाता हूं, खुद को पंछी सा समझ कर,उड़ता हूं, उन्मुक्त गगन में,खुशी से, चहक जाता हूं!यह मेरे, मन की, भड़ास हैया कि छिछोरा पागलपन,क्या कुछ है, मुझे नहीं पता,लगता है जैसे कि, कच्चा कोयला हूं,जब तब, अंगार लगती है तो,जलता है … Read more

नव वर्ष का उत्सव !

*नव वर्ष का उत्सव !* मैंने नव वर्ष का उत्सवआज ये नही मनाया है……….!किसे मनाऊँ,किसे नहीकुछ समझ न आया है …..!! चाहे ये विक्रम संवत हो या जो ग्रेगोरियन रंगाया हैचाहे अपना शक संवत होया हिजरी ने जो नचाया है !..मैंने.. गर दिन खराब चल रहा तोदिन को दीन क्यों बताया है,जब अपना जेब गरम … Read more