Category: हिंदी कविता

  • कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता

    कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता: ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और वे अपने सबसे बड़े वर्ष के अधिनायक बने थे। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण – देवकी और वासुदेव के पुत्र – का जन्म मथुरा के राक्षस राजा कंस को नष्ट करने के लिए हुआ था।

    कृष्ण
    कृष्ण

    ओ प्यारे कृष्ण

    o आचार्य मायाराम ‘पतंग’

    ओ प्यारे कृष्ण ओ कन्हैया, हिंद को बचा लो फिर से आय के ।

    भूल गए भारत माता को, अपनी संस्कृति भूले।

    नकल विदेशों की करने में, हम घमंड से फूले।

    भूल गए गंगा की गरिमा, रामायण और गीता ।

    गायत्री जप, त्याग, तपस्या, श्रद्धा विनय पुनीता ।

    ओ भटके हाय गाय मैया, हिंद को बचा लो फिर से आय के।

    यज्ञ, हवन, पूजा सब भूले, गावें गंदे गानें।

    करके नशा जागरण करते, माँ को चले मनाने।

    ओ रोवें देवकी सी मैया, हिंद को बचा लो फिर से आय के ।

    भूले, मंत्र, छंद, रस कविता, शास्त्र शस्त्र सब छोड़े।

    करते डिस्को नाच, कूदते, जैसे बंदर घोड़े ।

    ओ बाँके बांसुरी बजैया, हिंद को बचा लो फिर से आय के ।

    गली-गली दुर्योधन फिरते, घर-घर खड़े दुशासन ।

    अर्जुन बैठे कायर बनकर, न्याय न करता शासन ।।

    ओ गीता – ज्ञान के रचैया, हिंद को बना लो फिर से आय के ।

  • गुरु पूर्णिमा पर कविता

    गुरु पूर्णिमा पर कविता: गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है क्योंकि आज ही के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं…

    गुरुस्तुति

    गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु ,गुरुर्देवो महेश्वरः ।

    गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ।

    गुरु पूर्णिमा पर कविता

    गुरुवर मेरा उद्धार करो

    o आचार्य मायाराम ‘पतंग’

    गुरुवर मेरा उद्धार करो।

    पद वंदन को स्वीकार करो।

    दर-दर भटका ठोकर खाई ।

    सुख-शांति मुझे ना मिल पाई ॥

    जब से ली सुखद शरण गुरुवर ।

    तब से मुझ में हिम्मत आई ॥

    अब भक्ति भाव संचार करो।

    गुरुवर मेरा उद्धार करो।

    सत्युग सुमति का दाता है।

    हरि चिंतन मन को भाता है ।

    क्षमता है क्षीण हुई स्वामी

    साधना न तन कर पाता है।

    मत और अधिक लाचार करो।

    गुरुवर मेरा उद्धार करो ॥

    दर्शन की अभिलाषा मन में।
    पर साहस शेष नहीं तन में ॥

    जब तक ना दृष्टि दयामय हो

    पाऊँ संतोष न नयनन में ।

    दर्शन दो बेड़ा पार करो ।

    गुरुवर मेरा उद्धार करो ॥

  • नव वर्ष पर कविता

    नव वर्ष आया

    नव वर्ष पर कविता

    o आचार्य मायाराम ‘पतंग’

    नया वर्ष आया नया वर्ष आया ।

    नया वर्ष लेकर नया वर्ष आया ।।

    उठो तुम नया आज उत्साह लेकर ।

    चलो साथियों हाथ में हाथ लेकर ।

    सतत युद्ध में वीरता से लड़ो तुम ।

    कठिन पथ में धीरता से बढ़ो तुम ॥

    प्रगति पथ खुला है स्वगति तो बढ़ाओ ।

    कदम-से-कदम आज अपने मिलाओ ॥

    विषम पर्वतों के शिखर भी लो।

    झुका उन्हें काट कर मार्ग अपने बना लो ॥

    नदी, झील कब जोश को रोक पाए।

    साहस ने सचमुच समुंदर सुखाए ।

    नव वर्ष में पुष्प नूतन खिलाओ।

    जरा आदमी आदमी से मिलाओ ॥

    कहीं आदमी भीड़ में खो गया है।

    दिखाने का रोग उसे हो गया है।

    सभी एक हैं यह सहज ज्ञान दे दो ।

    इंसानियत की उसे पहचान दे दो ।

    नए वर्ष का मीत स्वागत मनाओ।

    नया काम खोजो, नए स्वर सजाओ।

  • 28 मई वीर सावरकर पुण्यतिथि पर कविता

    वह पहला देशभक्त

    28 मई वीर सावरकर पुण्यतिथि पर कविता

    राजेंद्र राजा

    वह पहला देशभक्त जिसने सब वस्त्र विदेशी जलवाए।

    स्वराज स्वदेशी मंत्र दिया सब उसके साथ चले आए।

    वह पहला अमरपुत्र जिसने पूरी आजादी माँगी थी।

    उसके कदमों की आहट से भारत की जनता जागी थी॥

    वह पहला वीर पुरुष जिसने लंदन में बिगुल बजाया था ।

    प्रवासी भारत वीरों का आजादी संघ बनाया था ।

    वह पहला बैरिस्टर था जो डिग्री से वंचित किया गया।

    रह गए देखते न्यायालय ना न्याय सत्य को दिया गया ॥

    वह था पहला साहित्यकार प्रतिबंधित जिसकी रचनाएँ।

    जिनको पढ़कर आजादी की जन-जन में जगी भावनाएँ ।।

    था वह पहला इतिहासकार जिसने ना झूठा कथन सहा ।

    अंग्रेज गदर कहते जिसको, स्वातंत्र्य प्रथम संग्राम कहा ।।

    पहला दो देशों का बंदी इंग्लैंड-फ्रांस का वाद बना।

    उस विश्व हेग न्यायालय में जाकर इक नया विवाद बना ॥

    तीन रंग का पहला ध्वज लंदन में स्वयं बनाया था।

    जिसको लेडी कामाजी ने जर्मन जाकर फहराया था ।

    था पहला देशभक्त जिसको ‘दो जीवन कारावास’ मिला।

    फिर भी वह सच्चा सेनानी आजादी पथ से नहीं हिला ॥

    पहला बंदी कवि, जेलों की दीवारों पर लिख दी कविता ।

    बिन कागज कलम और स्याही के, बहती रही काव्य सरिता ॥

    पहला समतावादी चिंतक जिसने दलितों को अपनाया ।

    फिर दलित वर्ग के मानव को मंदिर का सेवक बनवाया ॥

    भारत माता का वह सपूत आया था युगद्रष्टा बनकर ।

    या भारत की आजादी की सृष्टि का युगस्त्रष्टा बनकर ॥

  • 25 दिसंबर वीर ऊधम सिंह पुण्यतिथि पर कविता

    “वीर उधम सिंह” जिन्होंने जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड का बदला लिया / इतिहास स्मृति -13 मार्च 1940. अमर शहीद ऊधम सिंह ने 13 अप्रैल, 1919 ई. को पंजाब में हुए भीषण जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ’डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या करके निर्दोष भारतीय लोगों की मौत का बदला लिया था। जिस लिए 25 दिसंबर को वीर ऊधम सिंह पुण्यतिथि मनाई जाती है

    25 दिसंबर वीर ऊधम सिंह पुण्यतिथि पर कविता

    ● नंदा राही ‘देहलवी’

    तेरे खूँ से शहीद ऊधम सिंह

    तेरे खूँ से शहीद ऊधम सिंह,

    हिंद का हर चिराग रोशन है।

    तेरे कुरबानियाँ के सदके ही,

    आज अपना दिमाग रोशन है।

    तेरे हलके से एक झटके से,

    बादशाहों के तख्त डोल गए ।

    ‘जलियाँवाले का मैंने बदला लिया’,

    आसमाँ तक तेरे ये बोल गए ॥

    तेरी मिट्टी तो उड़ गई लेकिन,

    आँधियों के कदम उखाड़ गई।

    तेरी आवाज दब गई बेशक,

    जलजलों को मगर पछाड़ गई ।।

    क्या मिटाएँगे आसमाँ उसको,

    नक्श जो तू जमीं पे छोड़ गया ।

    खून तेरा बिखर गया लेकिन,

    जुल्म की सरहदों को तोड़ गया।

    बदला लेने की आरजू तेरी,

    तेरे सीने का खून चाट गई।

    तेरी गरदन तो कट गई लेकिन,

    जुल्म का बंद बंद काट गई ।।