माँ पर कविता

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

माँ पर कविता

mother their kids
माँ पर कविता

माँ,
तेरे आंसू को मैं आज पोछ ना पाई
तेरे दर्द को मैं आज मोल ना पाई ॥
तेरे दुख का क्या अनुमान मैं लगाऊं
लोगों की बातों से तुझे बचा ना पाई ॥
इस स्थिति मे तू खुद को संभालना पाई
माँ, मैं वापस आना पाई॥ २॥

माँ,
पापा ने भी मुझे इतना पढ़ाया
हर सफलता के काबिल बनाया॥
दुल्हन बनेगी मेरी गुड़िया
यह ख्वाब था उन्होंने सजाया ॥
इस पीड़ा से उनको मैं बचाना पाई
माँ ,मैं वापस आना पाई॥ २॥

माँ,
छोटी बहन भी खुद पर अफ़सोस जताएगी
लोगों से अब वो पल-पल घबराएगी ॥
औरत ही दुर्गा का स्वरुप है इसे तू कहना
सबसे लड़ने की शक्ति इसे तू देना ॥
इतनी जिम्मेदारियां छोड़ दूर में चली आई
माँ ,मैं वापस आना पाई॥ २॥

माँ,
लोग भी सड़कों पर उतर आएंगे
इंसाफ की मांग का दिया जलाएंगे ॥
मेरी तस्वीर हर जगह लगाएंगे
और चार दिन बाद भूल भी जाएंगे॥
पर माँ तू तब तक लड़ना
जब तक उन्हें फांसी पर ना चढ़ाएं ॥
ऐसा हादसा भविष्य में
फिर कभी कोई ना दोहराए॥ २॥

रमिला राजपुरोहित
(Justice for rape victims)

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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