हम किधर जा रहे हैं ?
हम किधर जा रहे हैं क़यास लगाए जा रहे हैं,कि हम ऊपर उठ रहे हैं,क़ायम रहेंगे ये सवालात,कि हम किधर जा रहे हैं? कल, गए ‘मंगल’ की ओर,फिर ‘चंदा-मामा’ की ओर,ढोंगी हो गए, विज्ञानी बन,कब लौटेंगे ‘मनुजता’ की ओर? ‘संस्कृति’,…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
हम किधर जा रहे हैं क़यास लगाए जा रहे हैं,कि हम ऊपर उठ रहे हैं,क़ायम रहेंगे ये सवालात,कि हम किधर जा रहे हैं? कल, गए ‘मंगल’ की ओर,फिर ‘चंदा-मामा’ की ओर,ढोंगी हो गए, विज्ञानी बन,कब लौटेंगे ‘मनुजता’ की ओर? ‘संस्कृति’,…
सपनो पर कविता सपनो में सितारे सजने दो,नदियों की धाराएँ बहने दो।शीतल हवाएँ मन की तरंगें,फूलों की खुशबू महकने दो। ऊँचे अरमानों को सजने दो,आकाश में पंछी उड़ने दो।समन्दर की ये सुहानी लहरे,जल में मछलियाँ तैरने दो। नजरों में नजारे…
हमसफ़र पर कविता प्यार का ओ एहसास हो,हमसफ़र मेरा साथ हो।कठिन रास्ते में निकला हूँ,इस सफर में तू मेरा साथ हो। ओ महफ़िल की रागिनी हो,ओ संगीत की तू वादिनी हो।दिल में बसे हो हमसफ़र,अँधेरे में तू मेरी चाँदनी हो।…
पुराने दोस्त पर कविता हम दो पुराने दोस्तअलग होने से पहलेकिए थे वादेमिलेंगे जरूर एक दिन लंबे अंतराल बादमिले भी एक दिन उसने देखा मुझेमैंने देखा उसेऔर अनदेखे ही चले गए उसने सोचा मैं बोलूंगामैंने सोचा वह बोलेगाऔर अनबोले ही चले…
रिश्ते पर कविता दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल और पीछे खंजर…
विधवा पर कविता सफेद साड़ी में लिपटी विधवाआँसुओं के चादर में सिमटी विधवामनहूस कैसे हो सकती है भला अपने बच्चों को वह विधवारोज सबेरे जगाती हैउज्जवल भविष्य कीf करे कामनाप्रतिपल मेहनत करती हैसर्वप्रथम मुख देखे बच्चेसफलता की सीढ़ी चढ़ते हैंसमझ…
हमसफर पर कविता सात फेरों से बंधे रिश्ते ही*हम सफर*नहीं होतेकई बार *हम* होते हुए भी*सफर* तय नहीं होते कई बार दूर रहकर भीदिल से दिल की डोर जुड़ जाती हैहर पल अपने पन काअहसास दे जाती हैकोई रूह के…
बेटी पर कविता बेटी जा पिया के घर , गुड़िया नहीं रोना । सजा उस घरोंदे को, साफ सुथरा रखना।। साफ सुथरा रखना, पति सेवा तुम…
मिलकर पुकारें आओ ! फिर मिलकर पुकारें आओगांधी, टालस्टाय और नेल्सन मंडेलाया भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और सुभाष चन्द्र बोस कीदिवंगत आत्माओं कोताकि हमारी चीखें सुन उनकी आत्माएंहमारे बेज़ान जिस्म में समाकर जान फूंक देताकि गूंजे फिर कोई आवाजें जिस्म…
बेटी का दर्द पर कविता अब तो लगने लगा है मुझको,कोख में ही माँ मुझको कुचलो।बाहर का संसार है सुंदर,ऐसा लगता है कोख के अंदर।पर जब पढ़ती हो तुम खबरें,हत्या, बलात्कार, जेल और झगड़े।नन्हा सा ये तन मेरा,भर उठता है…
हम तो उनके बयानों में रहे हम जब तक रहे बंद मकानों में रहे।वे कहते हैं हम उनके ज़बानों में रहे।1। उनके लिए बस बाज़ार है ये दुनियाँगिनती हमारी उनके सामानों में रहे।2। मुफ़लिसी हमारी तो गई नहीं मगरहमारी अमीरी…
समय का चक्र चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को निःशब्द जला रही थीं! रोकती रही मैं मगर सताता रहाताकत पर अपनी इतराता रहा! भूल जाता बचपन में तुझे खिलौना बन रिझाती रही,थक जाता जब रो-रो करपलना बनकर झुलाती…