प्रकृति से खिलवाड़ का फल – महदीप जंघेल

hasdev jangal

प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा

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भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।

विधाता छंद में प्रार्थना

विधाता छंद में प्रार्थना विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे देना।यतीमों की करो रक्षा,भले अरमान दे देना।.प्रभो संसार की बाधा,भले मुझको सभी देना।रखो ऐसी कृपा … Read more