हम तुम दोनों मिल जाएँ
हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम तुम मिल नवरस में गाएँ,गीत नए नव पौध लगाएँ।ढहते भले पुराने बरगद,हम तुम मिल नव … Read more