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  • ममतामयी माँ -मनीभाई “नवरत्न”

    यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

    ममतामयी माँ

    maa-par-hindi-kavita
    माँ पर कविता

    लाई दुनिया में पीड़ा सहकर।
    बचपन बीता माँ-माँ कहकर।
    स्वर्गानंद लिया गोद में रहकर।
    आशीष रहा उनका मुझ पर।
    एक शख्स में सारी सृष्टि समाई।
    वो  माँ, जो ममतामयी कहलाई।
    सुबह प्यार से वो,  हमें जगाती ।
    भूख से पहले  खाना खिलाती ।
    सही राह में चलना सिखलाती ।
    हर बुराई  से, लड़ना बतलाती।
    रिश्ते-नाते को जो निस्वार्थ निभाई ।
    वो  माँ, जो ममतामयी कहलाई।
    उसे मेरे पसंद का रहता ख्याल।
    मैं खुशनसीब हूँ, जो माँ का लाल।
    खुद से ज्यादा करें मेरी देखभाल।
    माँ!  तू पूजनीय रहे चिरकाल।
    चारदीवारी को, जो घर बनाई।
    वो  माँ, जो ममतामयी कहलाई।

    मनीभाई “नवरत्न”
    भौंरादादर, बसना, महासमुंद(छ.ग.)

  • राणा की तलवार

    राणा की तलवार

    पावन मेवाड़ भू पर जन्मे
    महाराणा प्रताप  शूर वीर
    अकबर से  संघर्ष  किया
    कई वर्षों तक बनकर धीर l
    दृढ़  प्रतिज्ञा  वीरता  में
    नाम तुम्हारा रहे  अमर
    घास की रोटी खाकर तुमने
    शत्रु से किया संग्राम समर l
    तलवारों के वार से जिसके
    अकबर थर थर थर्राता था
    बुलंद हौसलों का सिपाही
    महाराणा वो कहलाता था l
    तलवार हवा में जब चलती
    चहुँ ओर मचाती थी चीत्कार
    होश  उड़ाती  रिपु दल  के
    रणभूमि करती थी हाहाकार l
    हवा की गति से उड़ता चेतक
    राणा की चमकती थी तलवार
    शत्रु दल में हड़कंप था मचता
    देख लरजती तलवार के  वार l
    भाला कवच तलवार सहित
    होते थे  चेतक  पर  सवार
    अकबर की शर्त को राणा ने
    कदापि नहीं किया स्वीकार l
    पतंग सा हवा में उड़ता चेतक
    तलवार  तेज़  बरसाती  थी
    हिन्दू सम्राट राणा के सम्मुख
    सूर्य रश्मियाँ  भी  लजाती थी l
    अदम्य शौर्य तलवार में था
    शत्रु  को  धूल  चटाती  थी
    तेज़ प्रकाश निडर खड्ग ही
    मौत  की  नींद  सुलाती  थी l
    था अद्भुत महाराणा वीर
    तलवार मार  मचाती थी
    निहत्थे को भी देते तलवार
    ये अदा उन्हें श्रेष्ठ बनाती थी l
    मातृभूमि  रक्षा की खातिर
    जंगल  में  कई  वर्ष  बिताए
    विजय मिली मेवाड़ राज्य पर
    महाराणा ने हंसकर प्राण गँवाए l
    कुसुम लता पुन्डोरा
    नई दिल्ली
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  • इधर-उधर की मिट्टी

    इधर-उधर की मिट्टी

    ऐ! हवा
    ये मिट्टी जो तुम
    साथ लाई हो
    ये यहाँ की
    प्रतीत नहीं होती
    तुम चाहती हो मिलाना
    उधर की मिट्टी
    इधर की मिट्टी में
    और इधर की मिट्टी
    उधर की मिट्टी में
    तभी तो लाती हो
    ले जाती हो
    सीमा पार मिट्टी
    लेकिन कुछ ताकतें हैं
    इधर भी
    उधर भी
    जो नहीं चाहती
    इधर-उधर की मिट्टी
    आपस में मिले। 
    -विनोद सिल्‍ला©
    771/14, गीता कॉलोनी
    डांगरा रोड़, टोहाना
    जिला फतेहाबाद, हरियाणा
    पिन कोड 125120
    संपर्क 9728398500
    email:- [email protected]
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  • नशे में चित

    नशे में चित

    मेरा शहर है विख्यात
    नहरों की नगरी के नाम से
    आज मैं घूमते-घूमते
    पहुँचा नहर पर
    पानी लड़खड़ाता-सा
    तुतलाता-सा
    होश गवांकर बह रहा था

    बहते-बहते
    पानी संग बह रहे थे
    प्‍लास्‍टिक के खाली
    डिस्‍पोजल गिलास-प्‍लेट
    चिप्स-कुरकरे के खाली पैकेट
    शराब व खारे की
    प्‍लास्‍टिक की खाली बोतलें
    जो फैंके गए हैं
    प्रयोग के बाद

    थोड़ा आगे बढा तो
    सजी थी महफिलें
    थोड़े-थोड़े फांसले से
    नहरों के दोनों ओर

    लेकिन हैरत ये है कि
    शराब लोग पी रहे हैं
    नशे में चित
    प्रशासनिक अमला
    और
    कानून व्यवस्था है

    -विनोद सिल्‍ला

    771/14, गीता कॉलोनी
    डांगरा रोड़, टोहाना
    जिला फतेहाबाद  (हरियाणा)
    पिन कोड 125120
    संपर्क 9728398500
    [email protected]

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  • निशा गई दे करके ज्योति

    निशा गई दे करके ज्योति

    निशा गई दे करके ज्योति,
    नये दिवस की नयी हलचल!
    उठ जा साथी नींद छोड़कर,
    बीत न जाये ये जगमग पल!!
    भोर-किरन की हवा है चलती,
    स्वस्थ रहे हाथ  और  पैर!!
    लाख रूपये की दवा एक ही
    सुबह शाम की मीठी सैर!!
    अधरों पर मुस्कान सजाकर!!
    नयन लक्ष्य पर हो अपना!!
    पंछी बन जा छू ले अम्बर
    रात को देखा जो सपना!!
    दुख की छाँह पास न आवे
    शुभ प्रभात कहिये!!
    जेहि विधि राखे राम
    तेहि विधि रहिये!!!
    -राजेश पान्डेय”वत्स”
    पूर्वी छत्तीसगढ़!!
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