मानव समानता पर कविता
हम मानव मानव एक समान।
हम सब मानव की संतान ।
धर्म-कर्म भाषा भूषा से ,
हमको ना किञ्चित् अभिमान ।
हिंदू की जैसे वेद पुराण ।
बस वैसे ही बाइबल और कुरान ।
सब में छुपी हुई है एक ही ज्ञान।
सभी बनाती है मनुष्य को महान।
छोड़ दो करना लहूलुहान ।
मानवता धर्म की कर पहचान ।
धर्म जाति से पहले हम इंसान ।
हम हैं भारत मां की शान ।
आत्मा एक है चाहे रूप की हो खान ।
दूसरों में तू सदा परमात्मा को भान।
कर लो इस मिट्टी का सम्मान।
गायें आओ सदा भारत माता की गान।।
- मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़