हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम

हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम हे दिनकर ,दिवाकर,भानु,भास्कर,हे आक,आदित्य,दिनेश,मित्र,,हे सूर्य,अरुण,अंशुमालि,पतंग,हे विहंगम,प्रभाकर तू मार्तण्ड,इन्हीं ढेरों नाम में तेरा और है एक रवि नाम।हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम, हे प्रभाकर  तुम्हें प्रणाम ।। इस श्रृष्टि में जब मेरा अस्तित्व नहीं था,हे मित्र।जब से मैं अस्तित्व में आया देखु तेरा,साक्षात चित्र।अद्भुत प्रकाश से दुनिया में उजाला करते हो,हे अंशुमालि।संसार को … Read more

अपना प्यारा गाँव

अपना प्यारा गाँव मिल जुलकर रहते सब लोग,,सत्य अहिंसा का आज भी प्रयोग,,अब भी बुजुर्गों को ही जानते हैं,,बस उन्हीं का फैसला मानते हैं,,एक दूसरे का साथ निभाते कभी न करते हैं छलाँव।यही है अपना प्यारा गाँव,यही है अपना न्यारा गाँव ।। धान और गेहूँ के लहलहाते पौधे,मिट्टी के अनुपम घरौंदे ,,सरसों के फूल उन्मुक्त … Read more

लो चले आये तुम भी श्मशान

लो चले आये तुम भी श्मशान कहाँ गया धन दौलत भाई,,कहाँ गया तेरा अभिमान ,,,बाँस की ठठरी चढ़कर भाई,,लो चले आये तुम भी श्मशान । लुट गया धन दौलत भाई  ,,मिट गया देख मेरा अभिमान,,खाट छोड़ अब बाँस पे चढ़कर,,लो चले आये हम भी श्मशान । कहाँ गया अरमान तुम्हारा,,कहाँ गया तेरा सम्मान,,,,,,,खत्म हुई जिन्दगी … Read more

सुंदर और अच्छे में भेद

सुंदर और अच्छे में भेद युवावस्था में सुंदर दिखते हैं सभी,चाह होती है,उम्र की परवाह होती है,श्रृंगार से प्रेम,दर्पण से लगाव,घण्टों निहारते अपने हाव-भाव,आधुनिक परिधानों से सुसज्जित,भीड़ में अलग दिखने की चाह में भ्रमित!किंतु–प्रौढ़ावस्था में,श्रृंगार बदलने लगता है,कभी मन मचलता था अब,शांत रहने लगता है!सुर्ख,चटक रंगों को छोड़,मन जोगिया चुनने लगता है,भीड़,शोर से दूर,एकांत में … Read more

ख्वाब में प्रिय

ख्वाब में प्रिय रात ख्वाब में देखा प्रिय,,मैंने तुम्हारा साथ हो,,झट आई बिछावन पे,,और बोली करो प्यार की बात हो,,        है तू मेरी हर साँस में,        सबसे अलग तू खास में,,       मत देख यूँ अब आ लिपटकर,,       गुजार लूँ आज की रात हो,, की कंपकंपाती सर्द के दिन,,और उम्र में मैं बहुत कमसीन,,फिर … Read more