मझधार पर कविता -रेखराम साहू
मझधार पर कविता -रेखराम साहू जीवन,नौका है हम सबका, सरितावत् संसार है,जन्म,मरण दो तट हैं इसके,और आयु मझधार है। आत्मा,मन ये नाविक हैं दो,ये ही इसे चलाते हैं,कुशल हुए तो पार लगाते,अकुशल हुए डुबाते हैं।कर्म-धर्म से ही बनती इस नौका…



