हाथी पर बाल कविता
हाथी पर बाल कविता हाथी पर कविता 1 हाथी आया झूम के,धरती माँ को चूम के। टाँगे इसकी मोटी हैं,आँखें इसकी छोटी हैं। गन्ने पत्ती खाता है,लंबी सूँड़ हिलाता है। सूपा जैसे इसके कान,देखो-देखो इसकी शान ॥ हाथी पर कविता…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
हाथी पर बाल कविता हाथी पर कविता 1 हाथी आया झूम के,धरती माँ को चूम के। टाँगे इसकी मोटी हैं,आँखें इसकी छोटी हैं। गन्ने पत्ती खाता है,लंबी सूँड़ हिलाता है। सूपा जैसे इसके कान,देखो-देखो इसकी शान ॥ हाथी पर कविता…
नन्हे मुन्ने सैनिक हम पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे मुन्ने सैनिक हम।छोटी-सी है फौज हमारी,पर उसमें है ताकत भारी।बड़ी-बड़ी फौजें झुक जाती,जब ये अपना जोर दिखाती।पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे-मुन्ने सैनिक हम। Post Views: 148

मां पर बाल कविता अम्माँ करती कितना काम।चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥कुछ न कुछ करती ही रहती।सारे घर का बोझा सहती ॥नहीं उसे मिलता आराम।अम्माँ करती कितना काम ॥हम भी थाड़ा काम करेंगे।अम्मा जी की मदद करेंगे।तब होंगे सब…
चुन्नू-मुन्नू दोनों भाई चुन्नु मुन्नु दोनों भाई,रसगुल्ले पर हुई लड़ाई।चुन्नू बोला मैं भी लूँगामुन्नू बोला मैं भी लूँगा।इतने में ही दीदी आई,दीदी ने दो चपत लगाई।ऐसा झगड़ा कभी करना,दोनों मिलकर प्रेम से रहना। Post Views: 147
शानदार बाल कवितायेँ ताता थैयामोड़ा नाचे, हाथी नाचे, नाचे सोन चिरैया।किलक-किलक कर बंदर नाचे, ताता-ताता देया॥ठुमक ठुमक कर खरहा नाचे, ऊँट, मेमना गया।आ पहुँचा जब शेर नाचने, मची हाय रे दैया Post Views: 86
मुर्गी पर बाल कविता Post Views: 68
चिड़िया पर बाल कविता रंग-बिरंगी, प्यारी चिड़ियासुंदर-सुंदर न्यारी चिड़ियाउड़ती क्यारी-क्यारी चिड़ियालगती बड़ी दुलारी चिड़िया ॥ Post Views: 70

जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते है /दीपक राज़ जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते हैज़मीं से भी होती है ताल्लुक़ात जहाँ बैठते है ये जो फूल खिल रहे है ये जो भौंरे उड़ते हैंअच्छा लगता है जब…
सागर- मनहरण घनाक्षरी पोखर व झील देखो , जिसमें न गहराई ,थोड़ा सा ही जल पाय, मारते उफान हैं I सागर को देखो वहाँ , नदियाँ हैं कई जहाँ ,सबको समेट हिय , करे न गुमान है I जिसका न…
वन दुर्दशा पर हिंदी कविता अब ना वो वन हैना वन की स्निग्ध छायाजहाँ बैठकर विक्रांत मनशांत हो जाता थाजहाँ वन्य जीव करती थी अटखेलियाँजहाँ हिरनों का झुण्ड भरती थी चौकड़ियाँवन के नाम पर बचा हैमिलों दूर खड़ा अकेला पेड़कुछ…
सुरों की मल्लिका लता जी- जगदीश कौर कहाँ गई वो सुरों की मल्लिकाकहाँ गई वो मधुर सी कोकिलाजिसके सुरों के जादू से सारा हिंदूस्तां था फूलों सा खिला। छेड़ती थी जब सुरों की तान मंद -मुग्ध हो जाता हिन्दूस्तानतेरे गुनगुनाएं…
सुविचारित पग आगे बढ़ें मातृभूमि की सेवा करें,दलित शोषित समाज की पीड़ा हरें,निजी स्वार्थों से, ऊपर उठकर,पर हित में भी, ध्यान धरें,नव भारत के लिए, पथ गढ़ें,सुविचारित पग आगे बढ़ें! निर्धनता अभाव से जूझ रहे हैं लोग,अज्ञानता का व्याप्त है,…