हिंदी संग्रह कविता-हार नहीं होती हिन्दी कविता

हार नहीं होती हिन्दी कविता धीरज रखने वालों की हार नहीं होती।लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।एक नन्हींसी चींटी जब दाना लेकर चलती है।। चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती। धीरज रखने डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाते हैं।जो जाकर खाली हाथ लौट … Read more

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए,मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। दो बार नहीं यमराज कण्ठ हरता है,मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे।जीना है तो मरने से नहीं डरो रे॥ आँधियाँ नहीं जिसमें उमंग भरती … Read more

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी सूरज-सा दमकूँ मैंचंदा-सा चमकूँ मैंझलमल-झलमल उज्ज्वलतारों-सा दमकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। फूलों-सा महकूँ मैंविहगों-सा चहकूँ मैंगुंजित कर वन-उपवनकोयल-सा कुहकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। नभ से निर्मलता लूँशशि से शीतलता लूँधरती से सहनशक्तिपर्वत से दृढ़ता लूँमेरी अभिलाषा है। मेघों-सा मिट जाऊँसागर-सा लहराऊँसेवा के पथ पर मैंसुमनों-सा बिछ जाऊँमेरी अभिलाषा है। -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

नवीन कल्पना करो- गोपालसिंह नेपाली

नवीन कल्पना करो तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो। तुम कल्पना करो। अब घिस गईं समाज की तमाम नीतियाँ,अब घिस गईं मनुष्य की अतीत रीतियाँ,हैं दे रहीं चुनौतियाँ तुम्हें कुरीतियाँ,निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए-तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो। तुम कल्पना करो जंजीर टूटती कभी न अश्रु-धार से,दुख-दर्द दूर भागते नहीं दुलार … Read more

हिंदी संग्रह कविता-नये समाज के लिए

नये समाज के लिए नये समाज के लिए नया विधान चाहिए।असंख्य शीश जब कटेस्वदेश-शीश तन सका,अपार रक्त-स्वेद से,नवीन पंथ बन सका।नवीन पंथ पर चलो, न जीर्ण मंद चाल से,नयी दिशा, नये कदम, नया प्रयास चाहिए।विकास की घड़ी में अब,नयी-नयी कलें चलें,वणिक स्वनामधन्य हों,नयी-नयी, मिलें चलें।मगर प्रथम स्वदेश में, सुखी वणिक-समाज से,सुखी मजूर चाहिए, सुखी किसान … Read more