प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन-तबरेज़ अहमद

पर्यावरण संकट

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन शज़र के शाखो पर परिंदा डरा डरा सा लगता है।ऐसी भी क्या तरक्की हुई है मेरे मुल्क में।कई शज़र के शाखाओं को काटकर और कई शज़र को उजाड़ कर शहर का शहर बसा लगता है।इन पर्यावरण को उजाड़ कर शहर बसा लगता है।फिर भी कहा दिल लगता है।कभी प्रकृति की … Read more

मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता

hasdev jangal

इस कविता में प्रकृति संरक्षण की बात कही गई है।

प्रकृति से प्रेम पर कविता

प्रकृति से प्रेम – रीता प्रधान प्रकृति की सुंदरता पर आधारित रचना

प्रकृति से खिलवाड़ का फल – महदीप जंघेल

hasdev jangal

प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा

hasdev jangal

भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।