Tag: 28th जुलाई विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर हिंदी कविता

28th जुलाई विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस
हर साल 28 जुलाई को दुनिया भर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। विश्व संरक्षण दिवस हर साल प्राकृतिक संसाधनों का संक्षरण करने के लिए सर्वोत्तम प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पृथ्वी हमें सीमित मात्रा में ऐसे चीजों की आपूर्ति करती है, जिन पर हम सभी पूरी तरह निर्भर हैं जैसे पानी, हवा, मिट्टी और पेड़-पौधे।

  • पर्यावरण असंतुलन पर कविता

    पर्यावरण असंतुलन पर कविता

    आज पर्यावरण असंतुलन हो चुका है . पर्यावरण को सुधारने हेतु पूरा विश्व रास्ता निकाल रहा हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है।

    पर्यावरण असंतुलन पर कविता

    अकिल खान की कविता

    Save environment
    Environment day

    काट वनों को बना लिए सपनों सा महल,
    अति दोहन से भूमि में होती हर-पल हल-चल।
    रासायनिक दवाईयों का खेती में करते अति उपयोग,
    बंजर हो गई धरती की पीड़ा को क्यों नहीं समझते लोग।
    मिलकर करेंगे प्रकृति की समस्याओं का उन्मूलन,
    होकर कर्मठ करेंगे हम, पर्यावरण का संतुलन।

    जनसंख्या वृद्धि से भयावह हो गया धरती का हाल,
    अपशिष्ट – धुआँ और कल – कारखाने बन गया मानव का काल।
    सुंदर वन पशु-पक्षियों के कारण खुबसूरत दिखती थी धरती,
    बचालो जग को ये धरा मानव को है गुहार करती।
    अनदेखा करता है इंसान इन समस्याओं को कैसी है ये चलन,
    होकर कर्मठ करेंगे हम, पर्यावरण का संतुलन।

    कल – कल नदी का बहना और झरनों की मन मोहक आवाज,
    कम होते जल से स्तर प्राकृतिक संकट का हो गया आगाज।
    चिड़ियों की चहचहाहट और फूलों की मुस्कान,
    ऐसे दृश्यों को मिटाकर दुःखी क्यों है इंसान।
    मानव के खातिर बिगड़ गया प्राकृतिक संतुलन,
    होकर कर्मठ करेंगे हम, पर्यावरण का संतुलन।

    नये वस्त्र – मकान की लालच में पेड़ों को दिए काट,
    हो गए प्रदूषित नदी – समुद्र और तालाब – घाट।
    बंजर हो गया धरा प्लास्टिक के अति उपयोग से,
    इन समस्याओं का होगा निदान पेपर बैग के उपभोग से।
    सुधर जाओ यही है समय बैठ एकांत में करो मनन,
    होकर कर्मठ करेंगे हम, पर्यावरण का संतुलन।

    उमस-गर्मी से बढ़ता है प्रतिदिन तापमान,
    देखो जल रही है धरती और आसमान।
    विषैला हो गया हवा प्रदूषित हो गया है पानी,
    मानव की मनमानी से प्रकृति को हो रहा है हानि।
    लगाऐंगे पेड़ होगा शुद्ध हवा – धरा और गगन,
    होकर कर्मठ करेंगे हम, पर्यावरण का संतुलन।


    —- अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.) पिन – 496440.

    श्याम कुँवर भारती की कविता

    मौसम बदल जाएगा |
    पेड़ एक लगाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    उजड़े जंगल बसाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    घुल गया जहर साँसो हर शहर की  फिजाओं मे |
    साँसो जहर बुझाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    हो रहे हर इंसां यहाँ अब मर्ज कैसे कैसे |
    जड़ मर्ज मिटाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    टीवी केन्सर अस्थमा चर्म  रोग कोई नया नहीं  |
    हुआ क्यो पताकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    पड़ी जरूरत काट जंगल शहर बसा रहे लोग |
    बिना जंगल हवा बनाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    है जीव जन्तु जानवर जलचर थलचर नभचर जरूरी |
    संतुलन सबका बिगाड़कर देखो मौसम बदल जाएगा |
    साँप चूहा नेवला किट पतंग हिरण घास शेर लाज़मी |
    बिन आहार जीव जिलाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    चील गिद्ध बाज कौआ कोयल गोरैया सब चाहीए |
    बिन भवरा पराग कराकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    सहारा है सबका तरुवर बन गए दुश्मन हम ही |
    बिन बीज बृक्ष सृस्टी चलाकर देखो मौसम बदल जाएगा |
    वास्प बादल बारिस बहारे सब एक दूसरे के सहारे |
    बिन बादल बरसा कराकर देखो मौसम बदल जाएगा |

    श्याम कुँवर भारती [राजभर]
    कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,-995550928

  • प्रकृति पर कविता

    प्रकृति पर कविता

    सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व ।
    सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व।

    एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है ।
    समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व ।।

    समय आने पर सब कुछ जता देती है ये हमें
    कहीं गुना ज्यादा राज ,अनंत शक्ति है इसमें ।।

    कभी हो जाता आभास, पा लिया हमने सत्व।
    पर कुछ नहीं जानते कितना इसका महत्व।।

    हमारे ज्ञान विज्ञान भी इसके आगे नतमस्तक।
    अंदर तक खिल जाते हैं ,जब देती यह दस्तक।।

    आपदाएं ही बताती है , इसके बल का घनत्व।
    यह कितनी बलशाली ,कितना इसका महत्व।।

    इसके हर एक सुर में, सुर तो मिलाना पड़ेगा।
    अपने जीवन राग को ,सुरीला बनाना पड़ेगा ।।

    धीरज व संयम से ही , पाना है इसका सत्व।
    यह तो सर्वशक्तिमान, बड़ा ही इसका महत्व।।

    मधुसिंघी
    नागपुर