सदा छला जन का विश्वास
सदा छला जन का विश्वास विश्वास गीत (१६,१५) सत्ताधीशों की आतिश से,जलता निर्धन का आवास।राज महल के षडयंत्रों ने,सदा छला जन का विश्वास। युग बीते बहु सदियाँ बीती,चलता रहा समय का चक्र।तहखानों में धन भर जाता,ग्रह होते निर्बल हित वक्र।दबे भूलते मिले दफीने,फलती मचली मिटती आस।राज महल के षडयंत्रों ने,सदा छला जन का विश्वास। सत्ता … Read more