सदा छला जन का विश्वास

सदा छला जन का विश्वास विश्वास गीत (१६,१५) सत्ताधीशों की आतिश से,जलता निर्धन का आवास।राज महल के षडयंत्रों ने,सदा छला जन का विश्वास। युग बीते बहु सदियाँ बीती,चलता रहा समय का चक्र।तहखानों में धन भर जाता,ग्रह होते निर्बल हित वक्र।दबे भूलते मिले दफीने,फलती मचली मिटती आस।राज महल के षडयंत्रों ने,सदा छला जन का विश्वास। सत्ता … Read more

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक)

mother their kids

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक) आज नहीं है, मन पढ़ने का,मानस नहीं गीत,लिखने का।मन विद्रोही, निर्मम दुनिया,मन की पीड़ा, किसे बताऊँ,माँ के आँचल में, सो जाऊँ। मन में यूँ तूफान मचलते,घट मे सागर भरे छलकते।मन के छाले घाव बने अब,उन घावों को ही सहलाऊँ,माँ के आँचल में सो जाऊँ। तन छीजे,मन उकता … Read more

दोषी पर कविता

दोषी पर कविता ( १६,१४ ताटंक छंद ) सामाजिक ताने बाने में,पिसती सदा बेटियाँ क्यों?हे परमेश्वर कारण क्या है,लुटती सदा बेटियाँ क्यों? मात पिता पद पूज्य बने हैं,सुत को सीख सिखाते क्या?जिनके सुत मर्यादा भूले,पथ कर्तव्य बताते क्या? दोष तनय का, यह तो तय है,मात – पिता सच, दोषी है।बेटों को सिर नाक चढ़ाया,यही महा … Read more

जन चरित्र की शक्ति

जन चरित्र की शक्ति भू पर विपदा आजठनी है भारी।संकट में है विश्वप्रजा अब सारी।। चिंतित हैं हर देशविदेशी जन सेचाहे सब एकांतबचें तन तन सेघातक है यह रोगडरे नर नारी।भू पर ……….।। तोड़ो इसका चक्रसभी यों कहतेघर के अंदर बन्दतभी सब रहतेपालन करना मीतनियम सरकारीभू प…………….।। शासन को सहयोगकरें भारत जनतभी मिटेगा रोगसुखी हों … Read more

बादल पर कविता

बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। मैं मेघों का भाट नहीं जो,ठकुर सुहाती बात सुनाऊँ।नही अदावत रखता घन से,बे मतलब क्यों बुरे बताऊँ।खट्टी मीठी सब जतलाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। पर मन मानी करते बदरा,सरे … Read more