चितवन पर कविता

चितवन पर कविता चंचल चर चितवन चषक, चण्डी,चुम्बक चाप्!चपला चूषक चप चिलम,चित्त चुभन चुपचाप!चित्त चुभन चुपचाप, चाह चंडक चतुराई!चमन चहकते चंद, चतुर्दिश चष चमचाई!चाबुक चण्ड चरित्र, चाल चतुरानन चल चल!चारु चमकमय चित्र, चुनें चॅम चंदन चंचल! *चंडक~चंद्र, चॅम~मित्र, चष~दृश्य शक्ति, चप~चूने का घोल*•. •••••••••रचनाकार -✍©बाबू लाल शर्मा,बौहरासिकंदरा,दौसा, राजस्थान°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

फरवरी माह पर दोहे

फरवरी माह पर दोहे माह फरवरी शीत में, पछुआ मंद बयार।बासंती मौसम हुआ, करे मधुप गुंजार।। माह फरवरी जन्म का, वेलेन्टाइन संत।प्रेम पगा संसार हो, प्रीत रीत का पंत।। भारत में उत्सव मनें, फाग बसन्ती गीत।माह फरवरी में चले, प्राकृत पतझड़ रीत।। काम देव के बाण से, पीड़ित सभी सजीव।फागुन संगत फरवरी, सबके चाहत पीव।। … Read more

पिता पर कविता~बाबूलाल शर्मा

पिता पर कविता-बूलालशर्मा पिता ईश सम हैं दातारी। कहते कभी नहीं लाचारी। देना ही बस धर्म पिता का। आसन ईश्वर सम व्यवहारी।१ तरु बरगद सम छाँया देता। शीत घाम सब ही हर लेता! बहा पसीना तन जर्जर कर। जीता मरता सतत प्रणेता।२ संतति हित में जन्म गँवाता। भले जमाने से लड़ जाता। अम्बर सा समदर्शी … Read more

स्वदेश पर कविता-बाबूलालशर्मा

स्वदेश पर कविता करें जय गान!शहादत शान!सुवीर जवान!स्वदेश महान! करें गुण गान!सुधीर किसान!पढ़े इतिहास!बचे निज त्रास! धरा निज मात!प्रणाम प्रभात!पिता भगवान!सदा सत मान! रहे यश गान!स्वदेश महान!प्रवीर जवान!सुधीर किसान! ✍©बाबू लाल शर्मा, बौहरासिकंदरा,दौसा,राजस्थान

मनोरम छंद विधान- बाबूलाल शर्मा

मनोरम छंद विधान मापनी – २१२२ २१२२ चार चरण का छंद है दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में ,२२,या २११ हो चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है ३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य मापनी – २१२२, २१२२ कल काल से संग्राम ठानो!साहसी की जीत मानो!आज आओ मीत सारे!काल-कल बातें विचारे! सोच ऊँची बात मानव!भाव होवें मान … Read more