महादेवी वर्मा पर कविता- बाबूलाल शर्मा

व्यक्तित्व विशेष कविता संग्रह

प्रस्तुत कविता हिंदी साहित्य के विख्यात छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा पर लिखी गई है ।जिसके रचयिता बाबूलाल शर्मा जी हैं ।आपने दोहे छंद पर यह कविता लिखी है।

आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा

आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा आ बैठे उस पगडण्डी पर,जिनसे जीवन शुरू हुआ था। बचपन गुरबत खेलकूद में,उसके बाद पढ़े जमकर थे।रोजगार पाकर हम मन में,तब फूले ,यौवन मधुकर थे।भार गृहस्थी ढोने लगते,जब से संगिनी साथ हुआ था।आ बैठे उस पगडण्डी परजिनसे जीवन शुरू हुआ था। रिश्तों की तरुणाई हारी,वेतन से … Read more

बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद

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बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद काव्य रंगोली- लावणी छंद पूजा की थाली सजती हैअक्षत पुष्प रखें रोली।काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,कवि प्रिया,काव्य रंगोली। हिन्दी साहित सृजन साधना,साध करे भाषा बोली।कविता गीत गजल चौपाई,लिखे कवि काव्य रंगोली। दोहा छंदबद्ध कविताई,मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।प्रेम रीति शृंगार सलौने,पढ़ि देख काव्य रंगोली। लिखे सभी पर्व की बातें,ईद दीवाली व होली।गंगा जमनी … Read more

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद संवेदना -कुण्डलिया छंद होती है संवेदना, कवि  पशु  पंछी  वृक्ष।मानव मानस हो रहे, स्वार्थ पक्ष विपक्ष।स्वार्थ पक्ष विपक्ष, शून्य  संवेदन  बनते।जाति धर्म के वाद,बंधु आपस में तनते।भूल रहे संस्कार,खो रहे संस्कृति मोती।हो खुशहाल समाज,जब संवेदना होती। बढ़ती  है  संवेदना, राज  धर्म संग  साथ।व्यक्ति वर्ग समाज भी,रखें मनुजता माथ।रखें मनुजता माथ, … Read more

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत कहानी मोड़ मन मानस कहानी मोड़ मन मानसउदासी छोड़नी होगी।पिपासा पीर विश्वासीनिराशा भूल मन योगी।। गरीबी की नहीं गिनतीदुखों का जब पहाड़ा होनही बेघर नदी समझोकिनारा तल अखाड़ा ।वृथा भटको नहीं बादलविरह पथ दर्द संयोगी।,। उजाले भूल मन चातकअँधेरे सिंधु से ले लोबहे सावन दृगों से हीअकालों का यजन झेलोबहे … Read more