दीपक सा जलता गुरू
दीपक सा जलता गुरू दीपक सा जलता गुरू,सबके हित जग जान।गुरू से हीं पाते सभी, सरस विद्या गुण ज्ञान।। जग में गुरु सिरमौर है,तम गम हरे गुमान।भर आलोक जन-मन सदा ,देते है मुस्कान।। निर्झर सा निर्मल गुरू ,मन का होता साफ।शुचिता का छोड़े सदा ,सभी के उपर छाप।। महिमाअनूठा गुरु की,अग-जग सदा महान।चरणों में गुरू … Read more