दीपक सा जलता गुरू

दीपक सा जलता गुरू दीपक सा जलता गुरू,सबके हित जग जान।गुरू से हीं पाते सभी, सरस विद्या गुण ज्ञान।। जग में गुरु सिरमौर है,तम गम हरे गुमान।भर आलोक जन-मन सदा ,देते है मुस्कान।। निर्झर सा निर्मल गुरू ,मन का होता साफ।शुचिता का छोड़े सदा ,सभी के उपर छाप।। महिमाअनूठा गुरु की,अग-जग सदा महान।चरणों में गुरू … Read more

मंगल मूर्ति गजानना गणेश पर दोहे

doha sangrah

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक … Read more

बदलते रिश्ते पर दोहा

doha sangrah

बदलते रिश्ते दिन-दिन होता जा रहा,रिश्तों में बदलाव।प्यार रोज ही घट रहा ,दिखता हृदय दुराव।। नही लिहाज न शर्म है ,पिता पुत्र के बीच।माँ बेटी सम्बन्ध भी , निभे मुट्ठियाँ भींच।। पती- पत्नी सम्बन्ध भी ,रहते डाँवाडोल।आँखों में आँसू सदा , कहे कहानी बोल।। सास-बहू सम्बन्ध तो ,दो जोड़ो की सौत।छल कपट बस चाह रहे,इक … Read more

सनातन धर्म पर कविता

सनातन धर्म पर कविता देश को देखकर आगे बढ़े सनातनधर्म हिन्दी भारतवर्ष महानके लिये।देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये। स्वदेश की रक्षा में जन-जन रहे तत्पर।सदभाव विश्वबंधुत्व का हो भाव परस्पर।काम क्रोध मोह लोभ मिटे दम्भ व मत्सर।रहे सब कोई एकत्व समता में अग्रशर।उद्धत रहे पल-पल प्रभु गुणगान के लिये।देश को देखकर आगे … Read more

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय ,कुचलो पाप अधर्म फन।पुनः मिले ना मिले,सोच लो यह मानुष तन।।* देना सुख से प्यार को ,यही परम सौभाग्य।क्षणभंगुर जीवन अहा ,जाग सके तो जाग।।जाग सके तो … Read more