Tag: #दूजराम साहू

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०दूजराम साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • गणेश वंदना -दूजराम साहू

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    गणेश वंदना ( छत्तीसगढ़ी)

    जय ,जय ,जय ,जय हो गनेश !
    माता पारबती पिता महेश !!

    Ganeshji
    गणेशजी

    सबले पहिली सुमिरन हे तोर ,
    बिगड़े काज बना दे मोर !
    अंधियारी जिनगी में,
    हावे बिकट कलेश !!

    बहरा के बने साथी,
    अंधरा के हरस लाठी !
    तोर किरपा ले कोंदा ,
    फाग गाये बिशेष !!

    बांझ ह महतारी बनगे ,
    लंगड़ा ह पहाड़ चढ़गे !
    भिख मंगईया ह,
    बनगे नरेश !!

    दूजराम साहू
    निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
    जिला_ राजनांदगाँव (छ. ग. )

  • जिंदगी पर हरिगितिका छंद

    Submit : 16 Sep 2022, 10:56 AM
    Email : [email protected]

    1. रचनाकार का नाम
      दूजराम साहू अनन्य
    2. सम्पर्क नम्बर
      8085334535
    3. रचना के शीर्षक
      जीनगी
    4. रचना के विधा
      हरिगितिका छंद
    5. रचना के विषय
      जिनगी
    6. रचना
      हरिगितिका छंद

    ये जिंदगी फोकट गवाँ झन , बिरथा नहीं जान दे ।
    आँखी अभी मा खोल तयँ हा, आघू डहर ध्यान दे ।
    तन फूलका पानी सही हे , बनय हाड़ा माँस के ।
    अनमोल जिंदगी कर लेवव, भरोसा नइ साँस के ।।

    दूजराम साहू अनन्य🙏🙏🙏

    1. रचनाकार का पता
      दूजराम साहू अनन्य,
      निवास -भरदाकला,
      पोष्ट- – बलदेवपुर
      जिला-खैरागढ़ ( छ.ग.)
  • दूजराम साहू के छत्तीसगढ़ी कविता

    दूजराम साहू के छत्तीसगढ़ी कविता

    छत्तीसगढ़ी कविता
    छत्तीसगढ़ी कविता

    मोर गांव मे नवा बिहान

    झिटका कुरिया अब नंदावत हे,
    सब पक्की मकान बनावत हे ,
    खोर गली  सी सी अभियान आगे ,
    अब मोर गांव मे  नवा बिहान आगे।
    खाए बर अन ,तन बर कपड़ा ,
    खाए  पीये के अब नईहे लफड़ा ,
    रोजी मजूरी बर रोजगार गारेंटी अभियान आगे ,
    अब मोर  गांव मे नवा बिहान आगे ।
    कुआ बऊली डोंड़गा नरवा ,
    बोरींग नदीया बांधा तरिया ,
    सुघर साफ सुथरा करे के,
    सब ल गियान आगे ,
    अब मोर गांव मे नवा बिहान आगे!!

    दूजराम साहू                   
    जिला राजनांदगांव (छ.ग़)

    नवरात्रि

    नव दिन बर नवरात्रि आये,
    सजे माँ के दरबार हे !
    जगजननी जगदम्बा दाई के,
    महिमा अपरंपार हे !!

    एक नहीं पूरा नौ दिन ले
    दाई के सेवा करबो !
    नवधा भक्ति नौ दिन ले,
    अपन जिनगी म धरबो!
    अंधियारी जिनगी चक हो जाही,
    खुशियाँ आही अपार हे !

    ऊँच – नीच जाती – धरम के ,
    भितिया ल गिराबो!
    मया प्रीत के गारा म संगी
    घर कुरिया बनाबो !!
    गरीब गुरुवा असहाय बर,
    सबो दिन इतवार हे !

    दूजराम साहू “अनन्य “

    माता सीता

    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    कईसन निष्ठुर होगे ,
    जगत पति श्री राम !
    जानके निष्पाप सीता के,
    तीसर परीक्षा ले श्री राम !!
    जनक नंदनी सिया के,
    के बार होही परीक्षा ?
    पवित्रता के परमान बर,
    का कम हे अग्नि परीक्षा?

    शूरवीर ज्ञानी – मुनि ,

    बईठे हे राजदरबार !
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    एक होती त सही जतेव,
    शूली में चढ़ जतेव !
    पबरीत कतका हों आज घलो ,
    घेंच अपन कटा देतेव !!
    पति त्यागेव,
    त्यागेव राजघराना!
    महल के सुख त्यागेव,
    बन म जीनगी बिताना !!
    लव -कुश पालेव -पोसेव,
    सही-सही दुख अपार !
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    का अयोध्या म ,
    नारी के सम्मान नइ होय?
    का अयोध्या म ,
    नारी के स्वाभिमान नइ होय ?
    अउ कतका परमान देवए,
    सीता हे कतका शुद्ध !
    जनक बेटी दशरथ बहू ,
    गंगा बरोबर शुद्ध !!
    कतका सहे अपमान सीता,
    आखरी परीक्षा आगे !
    में पबरीत हों त चिराजा धरती,
    मोला गोदी में अपन समाले !
    लगे दरबार सिया गोहरावे,
    दाई लाज ल मोर बचाले !!
    पतिव्रता सीता के बात सुनके,
    भुईया दु फाकी चिरागे !
    देखते देखत मा सीता हा,
    धरती म समागे !!
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !

    दूजराम   साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील- खैरागढ़
    जिला- राजनांदगाँव (छ ग)

    मुड़ धर रोवए किसान

    देख तोर किसान के हालत,
    का होगे  भगवान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान,
    ये का दिन मिले भगवान !!

    पर के जिनगी बड़ सवारें
    अपन नई करे फिकर जी !
    बजर  दुख उठाये तन म,
    लोहा बरोबर जिगर जी !!
    पंगपंगावत बेरा उठ जाथे ,
    तभ होथे सोनहा बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    अच्छा दिन आही कहिके ,
    हमला बड़ भरमाये जी l
    गदगद ले बोट पागे,
    अब ठेंगवा दिखाये जी l
    बिश्वास चुल्हा म बरगे ,
    भोंदू बनगे किसान ll
    कि मुड़ धर रोये किसान l

    अन कुवांरी हम उपजायेन ,
    कमा के बनगेन मरहा जी l
    पोट ल अउ पोट करदीस ,
    हमला निचट हड़हा जी ll
    नांगर छोड़ सड़क म उतरगे,
    लगावत हे बाजी जान l

    दूजराम साहू “अनन्य”
    निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
    जिला – राजनांदगाँव( छ. ग .)

    पांच दिन बर आये देवारी

        माटी के सब दीया बारबो
             एसो के देवारी म। 
        जुरमील सब खुशी मनाबो 
             एसो के देवारी म।। 

         पांच दिन बर आये देवारी
            अपार खुशी लाये हे । 
         घट के भीतर रखो उजियारा
             सब ल पाठ पढ़ाये हे। 
         ईर्ष्या, द्वेष सब बैर भगाबो
             एसो के देवारी म।। 

        जुआ, तास, नशा ,पान
         घर बर ये नरकासुर हे ।
        बचत के सब आदत डालो
        यही जिनगी के बने गून हे। 
        भुरभूंगीया पन छोड़ो सब
           एसो के देवारी म।। 

        धन-लक्ष्मी, महा-लक्ष्मी 
          नारी ल सब मानो जी। 
       कोई दू:शासन न सारी खिचे 
        ईही ल भाई दूज जानो जी। 
       नारी सम्मान के ले प्रतिज्ञा 
             एसो के देवारी म।। 
      
        गाय दूध, गोबर सिलिहारी 
         पूजा बर कहा ले पाहू जी। 
        पर्यावरण, गाय नई बचाहू त
          जीवन भर पछताहू जी। 
         एक पेड़ सब झन पालो 
              एसो के देवारी म।। 

           संस्कृति ले सीख मिलथे 
        जीनगी  के कला सीखाथे जी। 
            मया – प्रेम -प्रीति बढ़ाथे
             बिछड़े ल मिलाते जी। 
         फेशन में घलो संस्कृति बचाबो
              एसो के देवारी म।। 

    दूजराम साहू 
    निवास -भरदाकला 
    तहसील- खैरागढ़ 

    वाह रे एस एल ए

    वाह रे एस एल ए, अब्बड़ हे तोर झमेले! 
         
    का कभू गुरु जी परीक्षा नई लेहे, 
        या लईका मन परीक्षा नई देहे! 
    फेर कईसे टीम एप में सब झन ल तै पेरे, 
        वाह रे एस एल ए, अब्बड़ हे…. 

    न पेपर हे न पेंसिल हे हाथ म ,   
        न लईका ल डर हे परीक्षा के बात म ! 
    गुरु जी हा बोर्ड में दू घंटा ल प्रश्न लिखे, 
    अऊ लईका मन खेले, वाह रे ….. 

    न तिमाही  न छमाही, न वार्षिक हे तोर  ये मुल्यांकन म, 
           PA, FA, S हे तोर ये व्यापक आकलन म, 
     पहली – दूसरी के लईका के आनलाइन पेपर लेले, 
    वह रे एस एल ए,……. 

    टीम टी के  चक्कर म , गुरु जी नेटवर्क खोजत हे, 
          ये केईसन दिन आगे ,ये का सजा भोगत हे! 
    जतका  परीक्षा लेना हे गुरु जी के ओतका तै लेले, 
    वाह रे एस एल ए, ……… 

    दूजराम साहू
    निवास भरदाकला

    झन निकलबे खोंधरा ले

    देख संगवारी सरी मंझनिया ,
    झन निकलबे खोंधरा ले !
    झांझ हे अब्बड़ बाड़ गेहे ,
    पांव जरथे भोंभरा ले !!
    गरम- गरम हवा चलत हे ,
    बिहनिया ले संझा !
    आँखी मुड़ी ल बिन बांधे ,
    कोनो डहर झन जां !!
    सुख्खा पड़गे डोंड़गा नरवा,
    सुन्ना पड़गे तरिया कुँआ !
    रूख राई ठूकठूक दिखत ,
    खोर्रा होगे अब भुईया !
    गाय गरूवा चिरई चिरगुन के,
    होगे हे बड़ करलाई !
    दूरिहा दूरिहा ले पानी नई दिखे ,
    कईसे प्यास बुझाही !!
    ताते तात झांझ के कारन
    घर ले निकलेल नई भाए ,
    पंखा कुलर के कारन
    पानी बड़ सिराय !

    दूजराम साहू

    माटी तोर मितान

    तै हावस निचट आढ़ा,
    नई हे थोरको गियान !
    जांगर टोर मेहनत करे,
    माटी तोर मितान !!

    टेंड़गा पागा टेंड़गा चोंगी,
    टेंड़गा पहिरे तैहा पागी !
    धरे नांगर धरे कुदारी,
    चकमक पखरा छेना म आगी !!
    बहरा कोती तै बोवत हवस धान….

    ऊँच-नीच भेदभाव नई जाने,
    सबो ल तै अपन माने !
    गंगा बरोबर निरमल मन,
    छल कपट थोरको ऩई जाने !!
    कभू नई बने तैह सियान …..             

    दास (दूज)
    सहायक शिक्षक (एल़. बी़.)
    भरदाकला (खैराग

  • नश्वर काया – दूजराम साहू अनन्य

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    नश्वर काया – दूजराम साहू “अनन्य “

    कर स्नान सज संवरकर ,
    पीहर को निकलते देखा ।


    नूतन वसन किये धारण ,
    सुमन सना महकते देखा ।
    कुमकुम चंदन अबीर लगा ,
    कांधो पर चढ़ते देखा ।


    कम नहीं सोहरत खजाना ,
    पर खाली हाथ जाते देखा ।
    गुमान था जिस तन का ,
    कब्र में उसे जाते देखा ।


    कर जतन पाला था जिस को,
    उसकों चिता पर चढ़ते देखा ।
    स्वर्ण जैसे काया को ,
    धूँ-धूँ कर जलते देखा ।

    दूजराम साहू “अनन्य “

    निवास -भरदाकला(खैरागढ़)
    जिला – राजनांदगाँव (छ.ग.)

  • मोर छत्तीसगढ़ महतारी

    मोर छत्तीसगढ़ महतारी

    मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
    तोर अलग हे चिनहारी!
    देवता धामी ऋषि मुनि मन,
    तप करीन इहाँ भारी!!

    आनी बानी के रतन भरे हे ,
    इहाँ के पावन माटी म !
    मया पिरती बढ़त रहिथे ,
    गिल्ली डंडा अऊ बांटी म !!
    नांगमुरी करधनिया संग म ,
    दाई गोड़ म पहिरे सांटी …..

    भिलाई कोरबा बैलाडीला म,
    बड़़े – बड़े कारखाना हे !
    कटकट – कटकट डोंगरी दिखे,
    महानदी गावए गाना हे !!
    मैना कोयली के गूरतूर बोली ,
    मंजूर ठूमके इहाँ भारी……

    बिकट बिटामिन भरे हावे,
    रतिहा के बोरे बासी म !
    सोना बरोबर धान दिखत हे ,
    धनहा खेत मटासी म !!
    महर- महर ममहावत हावे
    चंदन पबरीत माटी……

    भोरमदेव माँ बमलाई,
    शिवरीनरायन धाम हे !
    राजिमलोचन दंतेश्वरी,
    गिरोधपुरी पावन धाम हे !!
    दूजराम तोर गुन ल गावए …
    किरपा कर महतारी

    दूजराम साहू  “अनन्य “
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगाँव (छ ग)