शादी पर गीत

शादी पर गीत मैं चूल्हे की नाँब घुमाऊँ , लाइटर तुम जला दो ना।सब्जी मैंने छौंकी हैं जी , आकर इसे चला दो ना। प्यार करें हैं कब से दोनों , लाज रखेंगे हम इसकी।महामिलन कर सीमा तोड़े , टिकट कटा जीवन बस की। एतबार की मुहर लगाकर , छपवा देता हूँ पर्चा।जब हो जाएगी … Read more

शिखण्डी पर कविता

शिखण्डी पर कविता पार्थ जैसा हो कठिन,व्रत अखण्डी चाहिए।*आज जीने के लिए,**इक शिखण्डी चाहिए।।* देश अपना हो विजित,धारणा ऐसी रखें।शत्रु नानी याद कर,स्वाद फिर ऐसा चखे। सैन्य हो अक्षुण्य बस,व्यूह् त्रिखण्डी चाहिए।।आज जीने के……. घर के भेदी को अब,निश्चित सबक सिखाना।आतंकी अपराधी,को आँखे दिखलाना। सुता बने लक्ष्मी सम,भाव चण्डी चाहिए।।आज जीने के…….। सैन्य सीमा मीत … Read more

सूरज पर कविता

सूरज पर कविता मीत यामिनी ढलना तय है,कब लग पाया ताला है।*चीर तिमिर की छाती को अब,**सूरज उगने वाला है।।* आशाओं के दीप जले नित,विश्वासों की छाँया मे।हिम्मत पौरुष भरे हुए है,सुप्त जगे हर काया में। जन मन में संगीत सजे है,दिल में मान शिवाला है।चीर तिमिर…………. । हर मानव है मस्तक धारी,जिसमें ज्ञान भरा … Read more

संस्कारों पर कविता

संस्कारों पर कविता बीज रोप दे बंजर में कुछ,यूँ कोई होंश नहीं खोता।जन्म जात बातें जन सीखे,वस्त्र कुल्हाड़ी से कब धोता। संस्कृति अपनी गौरवशाली,संस्कारों की करते खेती।क्यों हम उनकी नकल उतारें,जिनकी संस्कृति अभी पिछेती।जब जब अपने फसल पकी थी,पश्चिम रहा खेत ही बोता।बीज रोप दे बंजर में कुछ,यूँ कोई होंश नही खोता। देश हमारा जग … Read more

अप्सरा पर कविता

अप्सरा पर कविता बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब नीर जरा भी!बादलों ने ली अंगड़ाई,खिलखिलाई यह धरा भी! घन श्याम वर्णी हो रहा नभ,चहकने खग … Read more