Tag: kevra yadu meera ki kavita

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०केवरा यदु मीरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • केवरा यदु “मीरा ” के अपने श्याम के दोहे

    श्याम के दोहे

    केवरा यदु "मीरा " के अपने श्याम के दोहे

    पागल मनवा ढूँढता, कहाँ मेरा चितचोर ।
    मन-मंदिर से झाँकता,मैं बैठा इस ओर।।

    पागल फिरता है कहाँ, जीवन है दिन चार ।
    वाणी में रस घोलिये,सदा सत्य व्यवहार।।

    पागल कहते लोग है,लगी श्याम से प्रीत ।
    नहीं मुझे परवाह है,गाऊँ उनके गीत ।।

    जब से देखा श्याम को,पगली सी है हाल।
    जादू तिरछी नजर का,जग माया जंजाल ।।

    सपने में आकर कहे,मेरी बाँह झिँझोर।
    आया तेरा साँवरा, देख जरा इस ओर।।

    केवरा यदु “मीरा ” राजिम

  • नव युग का संदेश सुन, मान जरा इंसान

    नव युग का संदेश

    नव युग का संदेश सुन, मान जरा इंसान ।
    जैसा जो करता यहाँ, फल देता भगवान ।।
    अभी वक्त है जाग जा,करले सबसे प्यार ।
    दो दिन की है जिन्दगी, छूट जाय कब प्राण।।
    नव युग तुझे पुकारता,तरुवर तू मत काट।
    पर्यावरण मनुज बचा, तब होगा कल्याण ।।
    नव युग की बेला कहे,पढ़ ले वेद पुराण।
    मात पिता सेवा करो,भाई भरत समान ।।
    माँसाहारी त्याग कर,बन जा शाकाहार।
    धुम्रपान भी छोड़ दो,बनो सरल इंसान।।
    आई संकट की घड़ी, मिल कर करें प्रयास ।
    भाई भाई बन रहें , एक ईश संतान।।

    केवरा यदु “मीरा

  • केवरा यदु मीरा के दोहे

    केवरा यदु मीरा के दोहे

    (1) चंदन

    माथे पर चंदन लगा, कैसा ढ़ोंग रचाय ।
    मंदिर मठ के नाम पर, वह व्यापार चलाय ।।

    (2)अग्निपथ

    सैनिक चलते अग्निपथ, लिये तिरंगा हाथ ।
    पीछे फिर हटते नहीं, कटे भले ही माथ ।।

    (3)दीपक

    बेटा कुल दीपक बना, बेटी का अपमान ।
    भ्रूण कोख में मारते, होगा कब सम्मान ।।

    (4)अहंकार

    अहंकार मत कीजिए, जीवन दिन दो चार ।
    मुट्ठी बाँधे आ रहा, जाये हाथ पसार।।

    (5)चासनी

    बोली लगते चासनी, भीतर पाप समाय ।
    बगल छुरी रखता फिरे, *मानस* रूप छुपाय ।।

    (6)अनुभव

    अनुभव सिखलाये हमें ,दुख *में* धरना धीर ।
    मन में यह विश्वास हो, कभी न होवे पीर ।।

    (7)नैराश्य

    छोड़ सदा नैराश्य को, आगे बढ़ता जाय ।
    राम कृपा उनको मिले, राह सही दिखलाय ।।

    (8)प्रतिकार

    जीवन में करते रहें, हम अनीति प्रतिकार ।
    सत्य मानिये फिर कभी, नहीं मिलेगी हार ।।

    (9)मधुप

    फूल फूल को चूमता, अरे मधुप नादान ।
    काँटों का भय है नहीं, *गुन गुन* करता गान ।।

    (10)जलधि

    जलधि लाँघ लंका गये, सीता की सुधि लाय।
    हनुमत प्रिय श्री भरत सम, हिय से राम लगाय ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
  • राधा की पुकार गीत/ केवरा यदु “मीरा “

    राधा की पुकार गीत/ केवरा यदु “मीरा “

    राधा की पुकार गीत / केवरा यदु “मीरा “

    radha shyam sri krishna
    श्री राधाकृष्ण

    राधा पुकारे  तोहे  श्याम  हाथ जोड़  कर।
    आ जाओ  मोहन  प्यारे  मथुरा  को छोड़  कर।।
    आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।

    रूठ गई निंदिया  श्याम  , चैनों  करार भी।
    प्रीत  जगाके  काहे  मुझको  बिसार दी।
    भूल  नहीं  जाना कान्हा  दिल से नाता  जोड़ कर।।

    आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
    आ जाओ—

    बाँसुरी बजा के  कान्हा  फिर से  बुलाने  आजा।
    पूनम की रात मोहन  रास रचाने  आजा।
    यमुना  तट पे बैठी  हूँ  मैं जाऊँ   ना  छोड़  कर।।

    आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
    आ जाओ–

    मधुबन उदास  कान्हा   यमुना   उदास  है।
    रोते हैं  ग्वाले  तेरे दर्शन  की प्यास  है ।
    मुड़कर कर न देखा श्याम  हमसे नाता जोड़ कर।।

    आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
    आ जाओ–

    नैनों  से  नीर  बरसे  कान्हा  तेरी याद  में ।
    मर न जाऊँ  रो रोकर पछताओगे  बाद में ।
    कैसे  तुम  जीते हो मोहन हमसे मुँह  मोड़  कर।।

    आ जाओ  मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
    राधा पुकारे तोहे श्याम  हाथ जोड़  कर।
    आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
    आ जाओ—

    केवरा यदु “मीरा “

  • भारत वतन मिले -केवरा यदु”मीरा”

    भारत वतन मिले -केवरा यदु”मीरा”

    भारत वतन मिले

    mera bharat mahan

    हे प्रभू धरा पर  जब जब जनम मिले।
    भारत वतन मिले भारत वतन मिले।

    राम कृष्ण गौतम गांधी का है देश।
    घर घर में हो रामायण गीता का  हो संदेश।
    सूर मीरा तुलसी  कबीरा   मिले।      

    भारत वतन——

    गूँजे वेद की   श्रृचाएं मंदिर  की घंटियाँ।
    उतुंग  हिमालय   की  है ऊँची  चोटियाँ।
    गंगा यमुना  गोदावरी की संगम मिले।।

    भारत वतन———

    खेतों की हरियाली  हो केसर की हो क्यारी।
    जहाँ ईद हो कृसमस हो और होली दिवाली।
    जहाँ गीता  के संग संग कुरान  भी गूँजे।।

    भारत वतन——-

    तिरंगे का केशरिया रंग सौर्य संदेश सुनाये।
    श्वेत रंग  शांति का  गीत  है गाये।
    हरा से हरियाली   चंहुओर  हो  खिले।।

    भारत  वतन———

    यहाँ मंदिर  मस्जिद  है  और शिवालय ।
    लाल किला ताजमहल   और हिमालय।
    यहाँ चैनो  अमन का  संदेश   भी  मिले।।

    भारत वतन मिले  भारत वतन मिले।
    हे प्रभू  धरा पर जब जब जनम मिले।
    भारत वतन मिले भारत वतन मिले।

    केवरा यदु”मीरा”